मुख्य बिंदु
- – यह गीत भगवान शिव के सन्यासी रूप में नंदलाल (कृष्ण) के दर्शन करने के लिए गोकुल नगरी आने की कथा प्रस्तुत करता है।
- – शिव माता यशोदा के द्वार पर आते हैं और उनके दर्शन के लिए उत्सुकता दिखाते हैं, जिससे यशोदा भी प्रसन्न होकर स्वागत करती हैं।
- – गीत में शिव की भयंकर और काला पीला रंगत का वर्णन है, परन्तु उनकी ममता और प्रेम को भी दर्शाया गया है।
- – यशोदा का मन थोड़ा घबराया हुआ है, पर शिव की महिमा और उनकी शक्ति के कारण वह निश्चिंत हो जाती हैं।
- – अंत में शिव और कृष्ण के मिलन का सुंदर चित्रण है, जहाँ दोनों एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराते हैं और प्रेम का आदान-प्रदान करते हैं।
- – पूरे गीत में भक्ति और प्रेम की भावना प्रबल है, जो भगवान शिव और कृष्ण के दिव्य संबंध को दर्शाती है।

भजन के बोल
बम बम बम बम बम भोला,
पहना सन्यासी चोला,
कांधे झोला अनमोला डाल के,
दर्शन करने चले हैं नंदलाल के ॥
देव गणों से विदा मांग शिव,
गोकुल नगरी आए,
माता यशोदा के द्वारे पर,
शिव ने अलख जगाए,
सुनके मैया ना देर लगाई,
दौड़ी दरवाजे आई,
थाली मोतियन भर लाई माल के,
दर्शन करने चले हैं नंदलाल के ॥
ना चाहिए तेरे हीरे मोती,
ना चाहिए तेरी माया,
छोड़ कर पर्वत आया मेरी मैया,
अपने लाल के दरस करा दे,
छोड़कर पर्वत आया,
मैया पूरे भए तेरे सपने,
मैं भी अब जाऊं तपने,
दर्शन करवा दे अपने लाल के,
दर्शन करने चले हैं नंदलाल के ॥
रंग है तेरा काला पीला,
शक्ल भयंकर भारी,
लाल मेरो डर के दहलावे,
अभी उमर है बाली,
जोगी कैसे लाला दिखलाऊं,
मन में मैं अत घबराऊं,
पाले क्यों कर पड़वाऊं काल के,
दर्शन करने चले हैं नंदलाल के ॥
तू तो यशोदा भई बावरी,
क्यों मन में घबरावे मेरी मैया,
ता को हुकम बजावे मेरी मैया,
तीनलोक को नाथ काल भी,
ता को हुकम बजावे री मैया,
नाथ त्रिलोक कहाए,
तेने ही गोद खिलाए,
अक्षर क्या शुभ लिखवाए भाल के,
दर्शन करने चले हैं नंदलाल के ॥
कान आवाज पड़ी मोहन के,
शिव द्वारे पर आए,
छोड़ के पलना चले कन्हैया,
घुटवन घुटवन धाये,
आकर दोनों ने नैन मिलाएं,
मन ही मन मैं मुस्काए,
महिमा के भेद बताएं हाल के,
दर्शन करने चले हैं नंदलाल के ॥
बम बम बम बम बम भोला,
पहना सन्यासी चोला,
कांधे झोला अनमोला डाल के,
दर्शन करने चले हैं नंदलाल के ॥
