मुख्य बिंदु
- – यह भजन भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है, जिन्हें “भोले भाले डमरू वाले” और “नंदी के असवार” के रूप में पुकारा गया है।
- – भजन में शिव जी के जटाजूट, त्रिशूल, डमरू, और भस्मी से सजे स्वरूप का चित्रण किया गया है।
- – शिव जी के कैलाश पर्वत पर निवास और उनके योगेश्वर रूप का उल्लेख है, साथ ही माता पार्वती के साथ उनका सौंदर्य भी दर्शाया गया है।
- – भस्मी, भांग, धतूरा आदि शिव पूजा के पारंपरिक प्रतीकों का उल्लेख है जो उनकी महिमा को बढ़ाते हैं।
- – भजन में भक्तों की शरण में आने और शिव से सभी की नैया पार कराने की प्रार्थना की गई है।
- – यह भजन शिव भक्तों को उनकी भक्ति और ज्ञान से परिपूर्ण करने की कामना करता है।

भजन के बोल
भोले भाले डमरू वाले,
नंदी के असवार,
शरण तेरी आ गया,
तेरी शरण में आ गया,
तेरी शरण में आ गया,
भोले भाले डमरू वालें,
नंदी के असवार,
शरण तेरी आ गया ॥
जटाजूट में गंग तेरे,
गल सोहे मुंडन माला,
डम डम डमरू बाज रहा,
हाथ त्रिशूल लिए भाला,
कैलाशी काशी के वासी,
जग के पालन हार,
शरण तेरी आ गया,
भोले भाले डमरू वालें,
नंदी के असवार,
शरण तेरी आ गया ॥
आक धतूरा भोग लगे,पीते भर भर भंग प्याला,
भस्मी रमाए बैठे है,
लिपटा है गल में काला,
कर में बिच्छू चंद्र भाल पर,
करता है उजियार,
शरण तेरी आ गया,
भोले भाले डमरू वालें,
नंदी के असवार,
शरण तेरी आ गया ॥
बाघम्बर को धार लिया,
योगेश्वर है मतवाला,
गिरिजा मैया संग सोहे,
पुत्र तेरा है दूंडाला,
सुर नर देव मुनिवर किन्नर,
करते है जयकार,
शरण तेरी आ गया,
भोले भाले डमरू वालें,
नंदी के असवार,
शरण तेरी आ गया ॥
भक्त तेरा दर पे आया,
भोले बाबा त्रिपुरारी,
सबकी नैया पार करो,
द्वार खड़े है नर नारी,
ज्ञान भक्ति के देने वाले,
भर देओ भंडार,
शरण तेरी आ गया,
भोले भाले डमरू वालें,
नंदी के असवार,
शरण तेरी आ गया ॥
भोले भाले डमरू वाले,
नंदी के असवार,
शरण तेरी आ गया,
तेरी शरण में आ गया,
तेरी शरण में आ गया,
भोले भाले डमरू वालें,
नंदी के असवार,
शरण तेरी आ गया ॥
