- – यह भजन शिव स्वरूप शान्तिनाथजी और सतगुरुजी की महिमा का वर्णन करता है, जो भक्तों के दाता और मार्गदर्शक हैं।
- – जालौरी के पवित्र स्थानों, जैसे भाकर, डुंगरे, भवड गुंफा, और सिरेमंदिर समाधि का उल्लेख है, जहां भक्त ध्यान और जप करते हैं।
- – भजन में केशरनाथजी और उत्तमसिंह राठौंड जैसे धार्मिक और ऐतिहासिक व्यक्तित्वों की भी स्तुति की गई है।
- – गंगा नदी की पवित्रता और उसके चरणों की सेवा करने का महत्व बताया गया है, जो भक्तों को भवसागर से पार लगाने वाली है।
- – यह भजन श्रद्धालुओं को सतगुरुजी के दर्शन और आशीर्वाद के लिए आमंत्रित करता है, जिससे वे मोक्ष और शांति प्राप्त कर सकें।
- – भजन के रचनाकार मदनसिंह जोरावत राठौंड़ बागरा हैं, और इसे जोगभारती तथा गीता गौस्वामी ने गाया है।

शिव रे स्वरुपी शान्तिनाथजी म्हारा दाता,
भेरु रे अखाडे़ ज्योरो धाम रे,
ओ सतगुरुजी म्हारा,
जालौरी रा पीर अमर धाम,
ओ धीन गुरुजी म्हारा,
आवो नी पधारो म्हारे बेल ओ….हो।।
जालौरी भाकर मे उंचे,
डुंगरे म्हारा दाता,
जालौरी पर्वत उंचे,
डुंगरे म्हारा दाता,
भवड गुंफा मे जपिया जाप,
ओ सतगुरुजी म्हारा,
शिव भोला ने रटीया आप,
ओ धीन गुरुजी म्हारा,
आवो नी पधारो म्हारे बेल ओ….हो।।
अरे सिरेमंदिर स्वर्ग,
सोवणो म्हारा दाता,
नव रे नाथो रो प्रकाश,
ओ सतगुरुजी म्हारा,
केशरनाथजी रो प्रताप,
ओ धीनगुरुजी म्हारा,
आवो नी पधारो म्हारे बेल ओ….हो।।
सिरेमंदिर समाधी,
आपरी म्हारा दाता,
आवे आवे जुग संसार,
ओ सतगुरुजी म्हारा,
आवो नी पधारो म्हारे बेल ओ….हो।।
गांव रे नरसोणा सु,
आया आपरे म्हारा दाता,
उत्तमसिंह राठौंड आपरे द्वार,
ओ सतगुरुजी म्हारा,
कर देजो भव सु पार ओ,
औ धीन गुरुजी म्हारा,
आवो नी पधारो म्हारे बेल ओ….हो।।
गंगा ज्यु निर्मल गंगा,
नाथजी ओ दाता,
करे थारे चरणो री सेवा,
ओ म्हारा दाता,
कर दीजो भव सुई पार,
ओ सतगुरुजी म्हारा,
पुरोहीत चेतन ने चरणा,
राखियो म्हारा दाता,
आवो नी पधारो म्हारे बेल ओ….हो।।
शिव रे स्वरुपी शान्तिनाथजी म्हारा दाता,
भेरु रे अखाडे़ ज्योरो धाम रे,
ओ सतगुरुजी म्हारा,
जालौरी रा पीर अमर धाम,
ओ धीन गुरुजी म्हारा,
आवो नी पधारो म्हारे बेल ओ….हो।।
भजन प्रेषक – मदनसिंह जोरावत राठौंड़ बागरा
सिंगर:- जोगभारती ,गीता गौस्वामी
