श्री भगवत भगवान की है आरती in Hindi/Sanskrit
श्री भगवत भगवान की है आरती,
पापियों को पाप से है तारती।
ये अमर ग्रन्थ ये मुक्ति पन्थ,
ये पंचम वेद निराला,
नव ज्योति जलाने वाला।
हरि नाम यही हरि धाम यही,
यही जग मंगल की आरती
पापियों को पाप से है तारती॥
॥ श्री भगवत भगवान की है आरती…॥
ये शान्ति गीत पावन पुनीत,
पापों को मिटाने वाला,
हरि दरश दिखाने वाला।
यह सुख करनी, यह दुःख हरिनी,
श्री मधुसूदन की आरती,
पापियों को पाप से है तारती॥
॥ श्री भगवत भगवान की है आरती…॥
ये मधुर बोल, जग फन्द खोल,
सन्मार्ग दिखाने वाला,
बिगड़ी को बनानेवाला।
श्री राम यही, घनश्याम यही,
यही प्रभु की महिमा की आरती
पापियों को पाप से है तारती॥
॥ श्री भगवत भगवान की है आरती…॥
श्री भगवत भगवान की है आरती,
पापियों को पाप से है तारती।
Shri Bhagwat Bhagwan Ki Aarti in English
Shri Bhagwat Bhagwan ki hai aarti,
Papiyon ko paap se hai taarti.
Ye amar granth ye mukti panth,
Ye Pancham Ved niraala,
Nav jyoti jalane wala.
Hari naam yahi Hari dham yahi,
Yahi jag mangal ki aarti
Papiyon ko paap se hai taarti.
॥ Shri Bhagwat Bhagwan ki hai aarti…॥
Ye shanti geet paavan puneet,
Paapon ko mitane wala,
Hari darsh dikhane wala.
Yeh sukh karni, yeh dukh harini,
Shri Madhusudan ki aarti,
Papiyon ko paap se hai taarti.
॥ Shri Bhagwat Bhagwan ki hai aarti…॥
Ye madhur bol, jag phand khol,
Sanmarg dikhane wala,
Bigdi ko banane wala.
Shri Ram yahi, Ghanshyam yahi,
Yahi Prabhu ki mahima ki aarti
Papiyon ko paap se hai taarti.
॥ Shri Bhagwat Bhagwan ki hai aarti…॥
Shri Bhagwat Bhagwan ki hai aarti,
Papiyon ko paap se hai taarti.
श्री भगवत भगवान की है आरती PDF Download
श्री भगवत भगवान की है आरती का अर्थ
इस आरती के द्वारा भगवान की महिमा का गान किया गया है, जो पापियों को पापों से मुक्त कर देती है। यह भगवान की स्तुति में की जाने वाली आरती है, जो उनके भक्तों को पाप से तारती है और उन्हें धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। प्रत्येक पंक्ति का गहन अर्थ निम्नलिखित है:
पापियों को पाप से है तारती
इस पंक्ति का अर्थ है कि यह आरती भगवान की महिमा का गान करते हुए, उन पापियों को उनके पापों से मुक्त करती है जो भगवान की शरण में आते हैं। भगवान के नाम का जाप और उनका ध्यान पापों का नाश करने वाला माना गया है।
ये अमर ग्रन्थ ये मुक्ति पन्थ
यह पंक्ति इस ओर संकेत करती है कि भगवान का यह ग्रंथ अमर है और मुक्ति का मार्ग दिखाने वाला है। जो भी भगवान की इस आरती का पाठ करता है, वह मोक्ष (मुक्ति) के मार्ग पर अग्रसर होता है।
ये पंचम वेद निराला, नव ज्योति जलाने वाला
इस पंक्ति में भगवान के ग्रंथ को पंचम वेद कहा गया है, जिसका तात्पर्य है कि यह ग्रंथ सबसे अद्वितीय और विशेष है। यह अज्ञान के अंधकार को दूर कर ज्ञान की नव ज्योति जलाने वाला है। यह जीवन में नई दिशा और प्रकाश देता है।
हरि नाम यही हरि धाम यही
इस पंक्ति का अर्थ है कि भगवान का नाम ही हरि धाम है। हरि का नाम लेना ही भगवान के धाम (निवास) में प्रवेश करने के समान है। भगवान का नाम लेने से भक्त उनके सानिध्य में पहुंच जाते हैं और उनका नाम लेना ही उनके धाम का अनुभव करना है।
यही जग मंगल की आरती, पापियों को पाप से है तारती
यह पंक्ति बताती है कि यह आरती संसार के कल्याण के लिए है। यह केवल भगवान की स्तुति ही नहीं बल्कि जगत के मंगल के लिए भी है। यह पापियों को उनके पापों से तारती है, अर्थात उन्हें उनके पापों से मुक्ति दिलाती है।
ये शान्ति गीत पावन पुनीत
इस पंक्ति में आरती को शांति का गीत बताया गया है, जो पवित्र और पावन है। यह गीत भगवान के भक्तों के जीवन में शांति और स्थिरता लाने वाला है।
पापों को मिटाने वाला, हरि दरश दिखाने वाला
इस पंक्ति का अर्थ है कि भगवान की यह आरती पापों को मिटाने वाली है। यह पापियों को उनके पापों से मुक्त करती है और भगवान के दर्शन कराने वाली है। भगवान का दर्शन या अनुभूति ही व्यक्ति के सारे दुःखों और कष्टों का अंत करने वाला होता है।
यह सुख करनी, यह दुःख हरिनी, श्री मधुसूदन की आरती
इस पंक्ति में भगवान मधुसूदन (भगवान विष्णु का एक नाम) की स्तुति की गई है। यह आरती सुख देने वाली और दुःखों को हरने वाली है। भगवान की आराधना से भक्त के जीवन में सुख की वृद्धि होती है और उसके सभी दुःख समाप्त हो जाते हैं।
ये मधुर बोल, जग फन्द खोल
इस पंक्ति का अर्थ है कि भगवान की यह आरती मधुर वाणी से युक्त है, जो संसार के जाल को खोलने वाली है। संसार के मोह और माया में फंसे हुए व्यक्ति के लिए भगवान का नाम और यह आरती उसे इस जाल से मुक्त करती है।
सन्मार्ग दिखाने वाला, बिगड़ी को बनाने वाला
इस पंक्ति का अर्थ है कि भगवान का यह मधुर गीत (आरती) व्यक्ति को सन्मार्ग यानी धर्म और सत्य के मार्ग पर ले जाता है। साथ ही, भगवान बिगड़ी हुई परिस्थितियों को सुधारने वाले हैं। उनकी कृपा से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।
श्री राम यही, घनश्याम यही, यही प्रभु की महिमा की आरती
इस पंक्ति में भगवान राम और भगवान घनश्याम (श्रीकृष्ण) को एक रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह आरती भगवान की महिमा का गान करती है और यह बताती है कि राम और कृष्ण एक ही हैं, जो सृष्टि के पालनहार हैं।
इस प्रकार यह आरती भगवान की महिमा का गुणगान करती है और पापों से मुक्त करने वाली है। भक्त इस आरती के माध्यम से भगवान का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को धर्म और सत्य के मार्ग पर ले जा सकते हैं।