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आरती: श्री गणेश – शेंदुर लाल चढ़ायो in Hindi/Sanskrit

शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको ।
दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको ।
हाथ लिए गुडलद्दु सांई सुरवरको ।
महिमा कहे न जाय लागत हूं पादको ॥
जय देव जय देव..
जय देव जय देव,
जय जय श्री गणराज
विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता,
जय देव जय देव ॥

अष्टौ सिद्धि दासी संकटको बैरि ।
विघ्नविनाशन मंगल मूरत अधिकारी ।
कोटीसूरजप्रकाश ऐबी छबि तेरी ।
गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिबिहारि ॥
जय देव जय देव..

जय देव जय देव,
जय जय श्री गणराज
विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता,
जय देव जय देव ॥

भावभगत से कोई शरणागत आवे ।
संतत संपत सबही भरपूर पावे ।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे ।
गोसावीनंदन निशिदिन गुन गावे ॥

जय देव जय देव,
जय जय श्री गणराज
विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता,
जय देव जय देव ॥

Shri Ganesh Shendur Laal Chadhayo in English

Shendur lal chadhayo achha Gajmukhko.
Dondil lal biraje sut Gauriharko.
Hath liye gudladdoo saai survar ko.
Mahima kahe na jay lagat hoon padko.
Jay Dev Jay Dev..
Jay Dev Jay Dev,
Jay Jay Shri Ganraj
Vidya sukhdata
Dhanya tumhara darshan
Mera man ramta,
Jay Dev Jay Dev.

Ashtau siddhi daasi sankatko bairi.
Vighnavinashan mangal moorat adhikari.
Koti suraj prakash aibi chhabi teri.
Gandasthal mad mastak jhoole shashi bihari.
Jay Dev Jay Dev..

Jay Dev Jay Dev,
Jay Jay Shri Ganraj
Vidya sukhdata
Dhanya tumhara darshan
Mera man ramta,
Jay Dev Jay Dev.

Bhav bhagat se koi sharanagat aave.
Santat sampat sabhi bharpoor paave.
Aise tum Maharaj moko ati bhaave.
Gosavi nandan nishidin gun gaave.

Jay Dev Jay Dev,
Jay Jay Shri Ganraj
Vidya sukhdata
Dhanya tumhara darshan
Mera man ramta,
Jay Dev Jay Dev.

आरती: श्री गणेश – शेंदुर लाल चढ़ायो PDF Download

शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको: सम्पूर्ण अर्थ और व्याख्या

शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको

इस पंक्ति में भगवान गणेश को “गजमुख” कहा गया है, जिसका अर्थ है “हाथी के मुख वाला”। “शेंदुर” लाल रंग का सिंदूर होता है, जो हिंदू धर्म में विशेष पूजा सामग्री मानी जाती है। गणेशजी की मूर्ति पर शेंदुर का लेप चढ़ाकर उन्हें पूजित किया जाता है, जो श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक है। यहाँ यह इंगित किया जा रहा है कि भगवान गणेश को शुद्ध भाव से शेंदुर चढ़ाकर पूजा की जा रही है।

दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको

“दोंदिल” का अर्थ है चमकदार, लाल रंग में चमकते हुए गणेशजी, जो माता गौरी और भगवान शिव के पुत्र हैं। यहां उनका सौंदर्य और तेजस्वी रूप वर्णित है, जो पूजा में उजागर होता है।

हाथ लिए गुडलद्दु सांई सुरवरको

इस पंक्ति में गणेशजी के हाथ में लड्डू होने का वर्णन है। लड्डू गणेशजी का प्रिय प्रसाद माना जाता है। “सांई” का अर्थ है पूज्य या भगवान, और “सुरवर” देवताओं के श्रेष्ठतम भगवान के रूप में गणेशजी की महिमा बताई गई है।

महिमा कहे न जाय लागत हूं पादको

इसका अर्थ है कि गणेशजी की महिमा इतनी विशाल और असीमित है कि उसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। यहाँ उनकी दिव्यता का अनुभव करने की बात कही गई है, और उनके चरणों की वंदना की जा रही है।

जय देव जय देव..

यह पंक्ति गणेशजी की स्तुति और जयकारा लगाने का आह्वान है, जो भक्ति की प्रबलता को दर्शाती है।

जय देव जय देव, जय जय श्री गणराज

यहाँ गणेशजी को “गणराज” के रूप में संबोधित किया गया है, जिसका अर्थ है कि वे गणों के राजा हैं। भक्तजन उनकी महिमा का गुणगान कर रहे हैं और उनकी जय-जयकार कर रहे हैं।

विद्या सुखदाता

भगवान गणेश को विद्या और सुख का दाता कहा गया है। वे बुद्धि, ज्ञान, और विवेक प्रदान करने वाले देवता माने जाते हैं। इस पंक्ति में उनके द्वारा दी गई विद्या और सुख की महिमा का वर्णन है।

धन्य तुम्हारा दर्शन

गणेशजी का दर्शन करने को धन्य और पवित्र माना गया है। भक्तजन उनका दर्शन करके अपने जीवन को सफल और पवित्र मानते हैं।

मेरा मन रमता

इस पंक्ति में भक्त की भावना का वर्णन है, जो गणेशजी के प्रति अपनी भक्ति में पूरी तरह से तल्लीन हो गया है। उसका मन गणेशजी के रूप और कृपा में रम गया है।

अष्टौ सिद्धि दासी संकटको बैरि

यहाँ गणेशजी की महाशक्ति का वर्णन है। “अष्टौ सिद्धि” आठ सिद्धियों का संदर्भ है, जिन्हें गणेशजी प्रदान कर सकते हैं। वे संकटों के शत्रु हैं और उन्हें दूर करने में सक्षम हैं। गणेशजी को संकट नाशक के रूप में जाना जाता है।

विघ्नविनाशन मंगल मूरत अधिकारी

इस पंक्ति में गणेशजी को विघ्नों (बाधाओं) का नाश करने वाला बताया गया है। वे मंगलमय और शुभ कार्यों के अधिकारी हैं, जिन्हें शुभ कार्यों की शुरुआत में पूजा जाता है।

कोटीसूरजप्रकाश ऐबी छबि तेरी

गणेशजी की छवि को करोड़ों सूर्यों के समान प्रकाशमयी बताया गया है। यह उनकी दिव्यता और तेजस्वी रूप की ओर संकेत करता है, जो समस्त ब्रह्मांड को प्रकाशित करता है।

गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिबिहारि

यह पंक्ति गणेशजी के सौंदर्य और उनके मस्तक पर चंद्रमा की शोभा का वर्णन करती है। उनके गंडस्थल (गालों) पर मस्ती का उल्लास झलकता है और चंद्रमा की शोभा उनके मस्तक पर सजी है।

भावभगत से कोई शरणागत आवे

यह पंक्ति बताती है कि जो भी व्यक्ति श्रद्धा और भाव से गणेशजी की शरण में आता है, वह उनके द्वारा संरक्षित और आशीर्वादित होता है।

संतत संपत सबही भरपूर पावे

इस पंक्ति में कहा गया है कि गणेशजी की शरण में आने वाले भक्तों को संतान, संपत्ति और सुख की प्राप्ति होती है। गणेशजी के आशीर्वाद से भक्त समृद्ध और सुखी होते हैं।

ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे

गणेशजी को यहां “महाराज” कहकर संबोधित किया गया है, जो इस बात का सूचक है कि भक्तजन उन्हें अति प्रिय मानते हैं और उनसे असीमित प्रेम रखते हैं।

गोसावीनंदन निशिदिन गुन गावे

इस पंक्ति में गणेशजी की महिमा का वर्णन करते हुए कहा गया है कि भक्तजन दिन-रात उनके गुणों का गान करते हैं। गोसावीनंदन से तात्पर्य है कि भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र के रूप में गणेशजी की स्तुति निरंतर होती रहती है।

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