श्री जगन्नाथ संध्या आरती in Hindi/Sanskrit
अनंत रूप अन्नांत नाम
अनंत रूप अन्नांत नाम,
अनंत रूप अन्नांत नाम,
आधी मूला नारायाणा
आधी मूला नारायाणा
अनंत रूप अन्नांत नाम,
अनंत रूप अन्नांत नाम,
आधी मूला नारायाणा
आधी मूला नारायाणा
विस्वा रूपा विस्वा धारा
विस्वा रूपा विस्वा धारा
विस्ववयापका नारायाणा
विस्ववयापका नारायाणा
विस्वा तेजसा प्रज्ञा स्वरूपा
विस्वा तेजसा प्रज्ञा स्वरूपा
हे ढाया सिंधो कृष्णा हे ढाया
अनंता सयाना हे जगानाथा
अनंता सयाना हे जगानाथा
कमला नयना हे माधवा
कमला नयना हे माधवा
करुणा सागरा कालिया नर्धना
करुणा सागरा कालिया नर्धना
हे ढाया सिंधो कृष्णा
हे ढाया सिंधो कृष्णा
हे कृपा सिंधो कृष्णा
हे कृपा सिंधो कृष्णा
अनंत रूप अन्नांत नाम,
अनंत रूप अन्नांत नाम,
आधी मूला नारायाणा
आधी मूला नारायाणा
Shri Jagganath Sandhya Aarti in English
Anant Roop Annant Naam
Anant Roop Annant Naam,
Anant Roop Annant Naam,
Aadhi Moola Narayana
Aadhi Moola Narayana
Anant Roop Annant Naam,
Anant Roop Annant Naam,
Aadhi Moola Narayana
Aadhi Moola Narayana
Vishwa Roopa Vishwa Dhara
Vishwa Roopa Vishwa Dhara
Vishwavyaapaka Narayana
Vishwavyaapaka Narayana
Vishwa Tejasa Pragya Swaroopa
Vishwa Tejasa Pragya Swaroopa
Hey Dhaya Sindho Krishna Hey Dhaya
Ananta Sayana Hey Jagannatha
Ananta Sayana Hey Jagannatha
Kamala Nayana Hey Madhava
Kamala Nayana Hey Madhava
Karuna Sagara Kaliya Nardhana
Karuna Sagara Kaliya Nardhana
Hey Dhaya Sindho Krishna
Hey Dhaya Sindho Krishna
Hey Kripa Sindho Krishna
Hey Kripa Sindho Krishna
Anant Roop Annant Naam,
Anant Roop Annant Naam,
Aadhi Moola Narayana
Aadhi Moola Narayana
श्री जगन्नाथ संध्या आरती PDF Download
श्री जगन्नाथ संध्या आरती का अर्थ
श्री जगन्नाथ संध्या आरती एक महत्वपूर्ण भक्ति गीत है जो भगवान श्री जगन्नाथ को समर्पित है। इस आरती के शब्द भगवान के अनंत स्वरूप और उनकी दिव्य शक्तियों का वर्णन करते हैं। इस आरती को गाकर भक्तजन भगवान के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा को प्रकट करते हैं। इस आरती का प्रत्येक शब्द भगवान की महिमा का बखान करता है। नीचे इस आरती के प्रत्येक पंक्ति का विस्तृत अर्थ दिया गया है।
अनंत रूप अन्नांत नाम
अनंत रूप अन्नांत नाम
अर्थ: इस पंक्ति में “अनंत रूप” का अर्थ है कि भगवान के असंख्य रूप हैं, अर्थात् वे अनगिनत रूपों में प्रकट होते हैं। “अनंत नाम” का मतलब है कि उनके अनगिनत नाम हैं, और प्रत्येक नाम उनकी शक्ति और महिमा को दर्शाता है।
आधी मूला नारायाणा
अर्थ: “आधी मूला” का अर्थ है सभी सृष्टि के मूल कारण, अर्थात् जगत के आरंभ में जो सर्वोच्च शक्ति है। “नारायाणा” शब्द का अर्थ है वह परमात्मा जो संसार का संचालन करता है। यहाँ भगवान को आदिकाल के मूल नारायण के रूप में संबोधित किया गया है, जो संपूर्ण सृष्टि का आधार हैं।
विस्वा रूपा विस्वा धारा
विस्वा रूपा विस्वा धारा
अर्थ: “विस्वा रूपा” का अर्थ है, जो पूरे संसार में समाहित है, अर्थात् भगवान समस्त ब्रह्मांड में व्याप्त हैं। “विस्वा धारा” का अर्थ है, जो समस्त सृष्टि का प्रवाह और ऊर्जा स्रोत हैं। यहाँ भगवान को वह परमशक्ति माना गया है जो पूरे संसार को बनाए रखता है।
विस्ववयापका नारायाणा
अर्थ: “विस्ववयापका” का अर्थ है वह जो पूरे विश्व में व्याप्त है। नारायण को सर्वव्यापी कहा गया है, जो सभी जगह विद्यमान हैं और सम्पूर्ण ब्रह्मांड को अपने प्रभाव में रखे हुए हैं।
विस्वा तेजसा प्रज्ञा स्वरूपा
अर्थ: “विस्वा तेजसा” का अर्थ है भगवान का वह तेज जो समस्त संसार को प्रकाशित करता है। “प्रज्ञा स्वरूपा” का मतलब है भगवान का ज्ञान स्वरूप, जो समस्त प्रज्ञा के स्रोत हैं। यहाँ भगवान को उस प्रकाश और ज्ञान का प्रतीक माना गया है, जो हर जीव के जीवन को दिशा देता है।
हे ढाया सिंधो कृष्णा हे ढाया
अनंता सयाना हे जगानाथा
अर्थ: “अनंता सयाना” का मतलब है भगवान अनंत काल तक विश्राम की स्थिति में हैं, अर्थात् उनकी स्थिति अपरिवर्तनीय और शाश्वत है। “हे जगानाथा” का अर्थ है कि वे सम्पूर्ण जगत के स्वामी हैं। यह भगवान की अनंत और शाश्वत स्थिति का संकेत देता है।
कमला नयना हे माधवा
अर्थ: “कमला नयना” का अर्थ है भगवान के नेत्र कमल के समान सुंदर हैं। “हे माधवा” का मतलब है भगवान विष्णु, जो लक्ष्मीपति हैं। यहाँ भगवान जगन्नाथ को लक्ष्मी के पति और सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में वर्णित किया गया है।
करुणा सागरा कालिया नर्धना
अर्थ: “करुणा सागरा” का अर्थ है भगवान करुणा का महासागर हैं, अर्थात् वे अत्यंत दयालु और करुणामय हैं। “कालिया नर्धना” का मतलब है कालिया नाग का वध करने वाले, जो भगवान कृष्ण की लीलाओं में से एक है। यहाँ भगवान की करुणा और उनकी शक्ति का वर्णन किया गया है।
हे कृपा सिंधो कृष्णा
हे कृपा सिंधो कृष्णा
अर्थ: इस पंक्ति में “कृपा सिंधो” का अर्थ है भगवान कृपा का महासागर हैं। यहाँ भगवान कृष्ण को दया और कृपा के स्रोत के रूप में दर्शाया गया है, जो अपने भक्तों पर असीम अनुग्रह बरसाते हैं।
पुनरावृत्ति: अनंत रूप अन्नांत नाम
यहाँ आरती के अंत में पुनः उन पंक्तियों का उच्चारण किया जाता है जो भगवान के अनंत स्वरूप और नाम की महिमा का बखान करती हैं। यह भक्तों के समर्पण और भगवान के अनंत रूपों में उनकी आस्था को प्रकट करता है।
यह श्री जगन्नाथ संध्या आरती एक सुंदर भक्ति गीत है जो भगवान जगन्नाथ की अनंत महिमा का वर्णन करता है।