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श्री झूलेलाल आरती in Hindi/Sanskrit

ॐ जय दूलह देवा,
साईं जय दूलह देवा ।
पूजा कनि था प्रेमी,
सिदुक रखी सेवा ॥

तुहिंजे दर दे केई,
सजण अचनि सवाली ।
दान वठन सभु दिलि,
सां कोन दिठुभ खाली ॥
॥ ॐ जय दूलह देवा…॥

अंधड़नि खे दिनव,
अखडियूँ – दुखियनि खे दारुं ।
पाए मन जूं मुरादूं,
सेवक कनि थारू ॥
॥ ॐ जय दूलह देवा…॥

फल फूलमेवा सब्जिऊ,
पोखनि मंझि पचिन ।
तुहिजे महिर मयासा अन्न,
बि आपर अपार थियनी ॥
॥ ॐ जय दूलह देवा…॥

ज्योति जगे थी जगु में,
लाल तुहिंजी लाली ।
अमरलाल अचु मूं वटी,
हे विश्व संदा वाली ॥
॥ ॐ जय दूलह देवा…॥

जगु जा जीव सभेई,
पाणिअ बिन प्यास ।
जेठानंद आनंद कर,
पूरन करियो आशा ॥

ॐ जय दूलह देवा,
साईं जय दूलह देवा ।
पूजा कनि था प्रेमी,
सिदुक रखी सेवा ॥

Shri Jhulelal Aarti in English

Om Jai Doolah Deva,
Sai Jai Doolah Deva.
Pooja kani tha premi,
Siduk rakhi seva.

Tuhinje dar de keei,
Sajan achani sawali.
Daan vathan sabhu dili,
Saan kon dithubh khaali.
॥ Om Jai Doolah Deva…॥

Andhdhani khe dinav,
Akhadiyoon – dukhiyaani khe daarun.
Paaye man joon muraadoon,
Sevak kani tharu.
॥ Om Jai Doolah Deva…॥

Phal phool meva sabjiyoon,
Pokhani manjh pachin.
Tuhinje mahir mayasa ann,
Bi aapar apaar thiyani.
॥ Om Jai Doolah Deva…॥

Jyoti jage thi jagu mein,
Lal tuhinji lali.
Amarlal achu moon vati,
He vishv sanda wali.
॥ Om Jai Doolah Deva…॥

Jagu ja jeev sabhei,
Pania bin pyaas.
Jethanand anand kar,
Pooran kariyo aasha.

Om Jai Doolah Deva,
Sai Jai Doolah Deva.
Pooja kani tha premi,
Siduk rakhi seva.

श्री झूलेलाल आरती PDF Download

श्री झूलेलाल आरती का अर्थ

ॐ जय दूलह देवा, साईं जय दूलह देवा

भावार्थ:
हे दूलह देव (झूलेलाल), आपकी जय हो, आपकी महिमा अपरम्पार है। इस आरती में साईं (गुरु) झूलेलाल को नमन किया जा रहा है, जो सिंधी समाज के आराध्य देव हैं। उनकी कृपा और आशीर्वाद की कामना की जा रही है।

पूजा कनि था प्रेमी, सिदुक रखी सेवा

भावार्थ:
भक्तगण प्रेमपूर्वक आपकी पूजा करते हैं और सच्चे मन से आपकी सेवा करते हैं। यह पंक्ति बताती है कि सच्चे श्रद्धालु भक्त बिना किसी स्वार्थ के प्रेम और भक्ति से दूलह देव की पूजा करते हैं, और यह सेवा ही उनकी सिद्दि का मार्ग है।

तुहिंजे दर दे केई, सजण अचनि सवाली

भावार्थ:
आपके दरबार में आने वाला कोई भी सज्जन खाली हाथ नहीं जाता। जो भी सच्चे दिल से आपके दरबार में आता है, उसकी प्रार्थना पूरी होती है। झूलेलाल के दर पर कोई भी सवाली, यानि याचक, कभी भी निराश नहीं लौटता।

दान वठन सभु दिलि, सां कोन दिठुभ खाली

भावार्थ:
आप दिल से दान देते हैं, और जिसने भी आपकी शरण ली है, वह कभी खाली हाथ नहीं जाता। यह पंक्ति दर्शाती है कि झूलेलाल अपनी कृपा से सभी को दान और आशीर्वाद देते हैं, और किसी को भी खाली हाथ नहीं जाने देते।

ॐ जय दूलह देवा, साईं जय दूलह देवा

भावार्थ:
यह श्लोक हर चरण के अंत में दोहराया जाता है, जो झूलेलाल की महिमा का गुणगान है और उनके प्रति भक्ति का प्रतीक है।

अंधड़नि खे दिनव, अखडियूँ – दुखियनि खे दारुं

भावार्थ:
आप (झूलेलाल) तूफान और कठिनाइयों के समय में दुखियों का उपचार करने वाले हैं। यह पंक्ति बताती है कि जब लोग मुश्किलों और दुखों में होते हैं, तब झूलेलाल उनके रक्षक और सहायक होते हैं।

पाए मन जूं मुरादूं, सेवक कनि थारू

भावार्थ:
आपके सेवकों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह वाक्य भक्तों की उन मुरादों की ओर इशारा करता है जो वे झूलेलाल की पूजा और सेवा के माध्यम से प्राप्त करते हैं।

फल फूलमेवा सब्जिऊ, पोखनि मंझि पचिन

भावार्थ:
आपके आशीर्वाद से फल, फूल, मेवे और सब्जियां भंडार में भर जाती हैं। इसका अर्थ यह है कि झूलेलाल के कृपादृष्टि से संसार में समृद्धि और अनाज की कभी कमी नहीं होती।

तुहिजे महिर मयासा अन्न, बि आपर अपार थियनी

भावार्थ:
आपकी कृपा से अन्न और समृद्धि की कोई कमी नहीं रहती। आपकी कृपा से भंडार अपार और भरपूर होते हैं।

ज्योति जगे थी जगु में, लाल तुहिंजी लाली

भावार्थ:
आपकी प्रकाशमयी ज्योति पूरी दुनिया में फैलती है। इस पंक्ति में झूलेलाल को लाल (प्रकाश और दिव्यता का प्रतीक) कहा गया है, जिनकी रोशनी और आशीर्वाद से पूरी दुनिया जगमगाती है।

अमरलाल अचु मूं वटी, हे विश्व संदा वाली

भावार्थ:
हे अमरलाल (अमर झूलेलाल), आप सदा के लिए अमर हैं और पूरे विश्व के पालनहार हैं। यह पंक्ति झूलेलाल की अमरता और उनकी विश्वव्यापी प्रभुता की ओर संकेत करती है।

जगु जा जीव सभेई, पाणिअ बिन प्यास

भावार्थ:
संसार के सभी जीव आपके आशीर्वाद के बिना प्यासे रहते हैं। यहां “प्यास” से अभिप्राय जीवन की वास्तविक तृप्ति से है, जो केवल झूलेलाल के आशीर्वाद से प्राप्त हो सकती है।

जेठानंद आनंद कर, पूरण करियो आशा

भावार्थ:
हे झूलेलाल, आप आनंद प्रदान करने वाले हैं और आप सबकी आशाओं को पूरा करते हैं। इस पंक्ति में झूलेलाल को उस शक्ति के रूप में बताया गया है जो भक्तों को सुख-शांति और तृप्ति प्रदान करती है।

ॐ जय दूलह देवा, साईं जय दूलह देवा

भावार्थ:
यह वाक्य फिर से दोहराया जाता है, जिससे झूलेलाल की महिमा और उनकी भक्ति को अभिव्यक्त किया जाता है।

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