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आरती: श्री रामचन्द्र जी in Hindi/Sanskrit

आरती कीजै रामचन्द्र जी की।
हरि-हरि दुष्टदलन सीतापति जी की॥

पहली आरती पुष्पन की माला।
काली नाग नाथ लाये गोपाला॥

दूसरी आरती देवकी नन्दन।
भक्त उबारन कंस निकन्दन॥

तीसरी आरती त्रिभुवन मोहे।
रत्‍‌न सिंहासन सीता रामजी सोहे॥

चौथी आरती चहुं युग पूजा।
देव निरंजन स्वामी और न दूजा॥

पांचवीं आरती राम को भावे।
रामजी का यश नामदेव जी गावें॥

Shri Ramchandra Ji Aarti in English

Aarti kije Ramchandra ji ki.
Hari-hari dushtdalan Sitapati ji ki.

Pehli aarti pushpan ki mala.
Kaali nag nath laye Gopala.

Doosri aarti Devaki Nandan.
Bhakt ubaaran Kans nikandan.

Teesri aarti tribhuvan mohe.
Ratna singhasan Sita Ramji sohe.

Chauthi aarti chahun yug pooja.
Dev Niranjan Swami aur na dooja.

Paanchvi aarti Ram ko bhave.
Ramji ka yash Namdev ji gaave.

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आरती कीजै रामचन्द्र जी का अर्थ

आरती कीजै रामचन्द्र जी की, एक लोकप्रिय आरती है जो भगवान श्रीराम के सम्मान और स्तुति में गाई जाती है। इस आरती के प्रत्येक पद में राम के विभिन्न गुणों, उनकी महानता और भक्तों के प्रति उनकी करुणा का वर्णन किया गया है। यहाँ प्रत्येक पंक्ति का हिंदी में विस्तारपूर्वक अर्थ प्रस्तुत किया गया है।

आरती कीजै रामचन्द्र जी की

इस पंक्ति में भक्त भगवान राम की आरती करने का आह्वान करते हैं। “आरती” का अर्थ है, एक विशेष प्रकार की प्रार्थना या स्तुति जिसमें दीपक, फूल और मंत्रों का उपयोग किया जाता है। यहाँ भक्त कहते हैं कि रामचन्द्र जी की आरती कीजिए, जो सभी कष्टों का नाश करते हैं।

हरि-हरि दुष्टदलन सीतापति जी की

हरि (विष्णु) का एक और नाम है, जो भक्तों की रक्षा करते हैं। “दुष्टदलन” का अर्थ है दुष्टों का नाश करने वाला। यहाँ, भगवान राम को “सीतापति” यानी सीता के पति के रूप में पुकारा गया है। राम को उन शक्तियों के रूप में सम्मानित किया गया है जो अधर्म का नाश करते हैं और धर्म की रक्षा करते हैं।


पहली आरती पुष्पन की माला

काली नाग नाथ लाये गोपाला

इस पंक्ति में “पुष्पन की माला” की पहली आरती का वर्णन है। भगवान राम को फूलों की माला अर्पित की जाती है। यहाँ भगवान श्रीराम को “काली नाग नाथ” यानी नागों के स्वामी के रूप में बताया गया है, जिन्होंने कृष्ण रूप में काली नाग को पराजित किया। इससे तात्पर्य यह है कि भगवान हर स्वरूप में भक्तों की रक्षा करते हैं, चाहे वो किसी भी संकट में हों।


दूसरी आरती देवकी नन्दन

भक्त उबारन कंस निकन्दन

दूसरी आरती में भगवान राम को “देवकी नन्दन” के रूप में पहचाना गया है। यह श्रीकृष्ण का एक नाम है, जो भगवान विष्णु के अवतार थे और भक्तों के उद्धारक माने जाते हैं। “कंस निकन्दन” का अर्थ है कंस का संहारक। यहाँ भगवान राम की शक्ति और उनके भक्तों की रक्षा करने की इच्छा को सम्मानित किया गया है, जो किसी भी रूप में अधर्म का नाश करने वाले हैं।


तीसरी आरती त्रिभुवन मोहे

रत्‍‌न सिंहासन सीता रामजी सोहे

तीसरी आरती में भगवान राम के गौरव और प्रभाव का वर्णन किया गया है। “त्रिभुवन मोहे” का अर्थ है कि भगवान राम का वैभव तीनों लोकों को मोहित करता है। “रत्न सिंहासन” में भगवान राम को एक अद्वितीय सिंहासन पर बैठे हुए दिखाया गया है। “सीता रामजी सोहे” में सीता और राम के दिव्य युगल को दर्शाया गया है, जो उनकी सुंदरता और सामर्थ्य का प्रतीक है।


चौथी आरती चहुं युग पूजा

देव निरंजन स्वामी और न दूजा

चौथी आरती में भगवान राम को चारों युगों में पूजनीय बताया गया है। इसका तात्पर्य यह है कि भगवान राम के प्रति भक्ति का महत्व सभी युगों में रहा है और रहेगा। “देव निरंजन” का अर्थ है कि वे सभी दोषों और अशुद्धियों से परे हैं। “स्वामी और न दूजा” का मतलब है कि वे ही परमस्वामी हैं और उनके समान दूसरा कोई नहीं है।


पांचवीं आरती राम को भावे

रामजी का यश नामदेव जी गावें

पांचवीं आरती में भगवान राम की महिमा और उनके यश का वर्णन है। “राम को भावे” का अर्थ है कि यह आरती भगवान राम को प्रिय है। अंत में, “रामजी का यश नामदेव जी गावें” का मतलब है कि भक्त उनके यश और महिमा का गुणगान करते हैं, ठीक जैसे संत नामदेव जी ने उनकी स्तुति की थी।


इस आरती का प्रत्येक पद भगवान राम के प्रति गहरी श्रद्धा को दर्शाता है और उनके गुणों का महिमामंडन करता है। यह आरती हमारे जीवन में राम के आदर्शों को स्थापित करने की प्रेरणा देती है।

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