श्री विष्णु मंत्र in Hindi
ॐ नमोः नारायणाय॥
ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥
ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्। लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम् वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥
मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः। मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
Shri Vishnu Mantra in English
Om Namo Narayanaya
Om Namo Bhagavate Vasudevaya
Om Shri Vishnave Cha Vidmahe Vasudevaya Dhimahi।
Tanno Vishnuh Prachodayat॥
Shantakaram Bhujagashayanam Padmanabham Suresham
Vishvadharam Gaganasadrisham Meghavarnam Shubhangam।
Lakshmikantam Kamalanayanam Yogibhirdhyanagamyam
Vande Vishnum Bhavabhayaharam Sarvalokaikanatham॥
Mangalam Bhagwan Vishnuh, Mangalam Garunadhwajah।
Mangalam Pundari Kakshah, Mangalaya Tano Harih॥
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श्री विष्णु मंत्र का अर्थ
1. श्री विष्णु मूल मंत्र
मंत्र: ॐ नमोः नारायणाय॥
विस्तार: यह मंत्र संपूर्ण ब्रह्मांड के पालनकर्ता भगवान विष्णु की आराधना का मूल मंत्र है। “ॐ” को ब्रह्मांड का मौलिक ध्वनि माना जाता है, और “नमो” का अर्थ है नमन करना। “नारायणाय” भगवान विष्णु का एक नाम है, जिसका अर्थ है “जो सभी प्राणियों का निवास स्थान हैं।” इस मंत्र को जपने से मन में शांति और स्थिरता आती है और व्यक्ति के समस्त पापों का नाश होता है।
2. श्री विष्णु भगवते वासुदेवाय मंत्र
मंत्र: ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥
विस्तार: इस मंत्र में भगवान वासुदेव की आराधना की जाती है, जो भगवान विष्णु का एक अवतार हैं। “भगवते” का अर्थ है भगवान, और “वासुदेवाय” का अर्थ है वासुदेव के पुत्र कृष्ण। इस मंत्र को जपने से भक्ति, शांति और समर्पण की भावना में वृद्धि होती है और व्यक्ति के समस्त संकटों का नाश होता है।
3. श्री विष्णु गायत्री मंत्र
मंत्र: ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
विस्तार: गायत्री मंत्र का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति की बुद्धि को प्रबुद्ध करना और आत्मा को शुद्ध करना है। इस मंत्र में भगवान विष्णु की महानता को जानने और उनका ध्यान करने की बात कही गई है। “विद्महे” का अर्थ है जानना, “धीमहि” का अर्थ है ध्यान करना, और “प्रचोदयात्” का अर्थ है प्रेरित करना। यह मंत्र व्यक्ति की मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
4. विष्णु शान्ताकारं मंत्र
मंत्र: शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्। लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम् वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥
विस्तार: यह मंत्र भगवान विष्णु के शांत और सर्वव्यापी स्वरूप का वर्णन करता है। “शान्ताकारं” का अर्थ है शांति की मूर्ति, “भुजगशयनं” का अर्थ है सर्प पर शयन करने वाले, “पद्मनाभं” का अर्थ है जिनकी नाभि से कमल उत्पन्न हुआ, और “सुरेशं” का अर्थ है देवताओं के ईश्वर। यह मंत्र भगवान विष्णु की महिमा और उनकी अलौकिक शक्तियों का गुणगान करता है।
5. मंगल श्री विष्णु मंत्र
मंत्र: मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः। मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
विस्तार: इस मंत्र में भगवान विष्णु के विभिन्न रूपों की मंगलकामना की जाती है। “भगवान विष्णुः” का अर्थ है जो सबके पालनकर्ता हैं, “गरुणध्वजः” का अर्थ है जो गरुड़ को ध्वज के रूप में धारण करते हैं, “पुण्डरी काक्षः” का अर्थ है जिनकी आँखें कमल के समान हैं, और “मंगलाय तनो हरिः” का अर्थ है जिनका शरीर हरि (विष्णु) है। इस मंत्र को जपने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
इन मंत्रों को जपने से व्यक्ति को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, और उसके जीवन में शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति होती है। प्रत्येक मंत्र का अपना महत्व और फल है, जो साधक की भक्ति और समर्पण पर निर्भर करता है।