- – यह गीत श्रृंगार और सुंदरता की प्रशंसा करता है, जिसमें प्रेम और मुस्कुराहट की अपील की गई है।
- – गीत में काजल, काली घटा, और रेशमी जुल्फों जैसे श्रृंगार के तत्वों का वर्णन है जो आकर्षण बढ़ाते हैं।
- – कानों में कुंडल और सोने जैसे मुखड़े का उल्लेख करते हुए, गीत में सुंदरता और मोहकता को उजागर किया गया है।
- – गीत में ‘माही’ और ‘तनु’ के माध्यम से प्रेम और महिमा की भावना व्यक्त की गई है।
- – पूरे गीत में प्यार भरी मुस्कान के महत्व को बार-बार दोहराया गया है, जो प्रेम और स्नेह का प्रतीक है।
- – स्वर तन्नू तनवीर द्वारा प्रस्तुत इस गीत में भावनात्मक और सौंदर्यपूर्ण अभिव्यक्ति है।

श्रृंगार सांवरिया लागे ये प्यारा है,
देख के प्यार से मुस्कुरा दीजिए,
देख के प्यार से मुस्कुरा दीजिए।।
तर्ज – ये रेशमी जुल्फे।
लगती काजल की कोरे,
काली घटा
मन को भाने लगी तेरी,
प्यारी छटा
है रूप तेरा प्यारा प्यारा,
जो मोह लेता है जग सारा,
देख के प्यार से मुस्कुरा दीजिए,
देख के प्यार से मुस्कुरा दीजिए।।
चमके कानों में कुंडल,
दिनकर से,
सारी ले लूँ बलाए मैं,
जी भर के,
नजर कहीं ना लग जाए,
सोणा सा मुखड़ा मन भाए,
देख के प्यार से मुस्कुरा दीजिए,
देख के प्यार से मुस्कुरा दीजिए।।
न्यारा जग में तेरा,
ये श्रृंगार है,
प्यारा फूलों में बैठा,
वो दातार है,
‘माही’ को रूप तेरा भाए,
‘तनु’ तेरी महिमा गाए,
देख के प्यार से मुस्कुरा दीजिए,
देख के प्यार से मुस्कुरा दीजिए।।
श्रृंगार सांवरिया लागे ये प्यारा है,
देख के प्यार से मुस्कुरा दीजिए,
देख के प्यार से मुस्कुरा दीजिए।।
स्वर – तन्नू तनवीर।
