- – यह गीत श्रृंगार सिंदूरी और बालाजी की भक्ति भावनाओं को दर्शाता है, जिसमें भक्त की श्रद्धा और प्रेम व्यक्त किया गया है।
- – गीत में सिरसा और सालासर के धार्मिक महत्व का उल्लेख है, जहां भक्त की उलझनें दूर होती हैं।
- – मुखड़े की नूरानी छवि और हाथ की रेखा को भाग्यशाली माना गया है, जो भक्त के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाती है।
- – भक्ति के माध्यम से अहंकार का नाश और ज्ञान की प्राप्ति का वर्णन है, जिससे भक्त मग्न होकर झूम उठता है।
- – गीत में दर्शन की मंजूरी मिलने पर श्रद्धालु का सिर झुकाने और समर्पण की भावना प्रकट होती है।
- – संदीप बंसल द्वारा गाया गया यह भजन भक्ति रस से परिपूर्ण है और भक्तों को आध्यात्मिक अनुभव कराता है।

श्रृंगार सिंदूरी,
छवि बाला की पूरी,
तुम्हे देखकर,
देखता रह गया,
जब दी मुझे तुमने,
दर्शन की मंजूरी,
झुका सर मेरा,
तो झुका रह गया।।
तर्ज – ये रेशमी जुल्फें।
मेरा सिरसा में आना,
सफल हो गया,
मेरी उलझन का पल भर में,
हल हो गया,
सिरसा के सरदार भी तुम,
सालासर की सरकार भी तुम,
जो माथा टिका तो,
टिका रहा गया,
तुम्हे देखकर,
देखता रह गया।।
ऐसा मुखड़ा नूरानी ना,
देखा कहीं,
हाथ में पहले ना थी ये,
रेखा कहीं,
जागे नसीब मेरे,
तुम हो बालाजी करीब मेरे,
तुम्हे मन मेरा,
पूजता रहा गया,
तुम्हे देखकर,
देखता रह गया।।
मैंने देखा तुम्हे तो,
मैं ना रही,
थी अहंकार जैसी जो,
शय ना रही,
ज्ञान दिया तुमने बाला,
भक्ति का पिलाया जब प्याला,
तो मैं हो के मगन,
झूमता रह गया,
Bhajan Diary Lyrics,
तुम्हे देखकर,
देखता रह गया।।
श्रृंगार सिंदूरी,
छवि बाला की पूरी,
तुम्हे देखकर,
देखता रह गया,
जब दी मुझे तुमने,
दर्शन की मंजूरी,
झुका सर मेरा,
तो झुका रह गया।।
Singer – Sandeep Bansal
