- – यह गीत श्याम (कृष्ण) और राधा के प्रेम को दर्शाता है, जिसमें श्याम यमुना के पार राधा को बुलाते हैं।
- – गीत में प्रेम की गंगा और अमृत की धारा की तुलना उनके प्रेम से की गई है, जो निरंतर बहता रहता है।
- – श्याम और राधा के प्रेम को चंदा-चकोर और नदी-छोर के बंधन से जोड़ा गया है, जो अपार और गहरा है।
- – मधुबन की बगिया में दोनों के रंगों और मस्ती की बहार का वर्णन है, जहां ग्वाले और गोपियां भी रंग में रंगे हैं।
- – राधा की शरम और प्रेम की भावना व्यक्त की गई है, जो यमुना पार श्याम के पास आने की इच्छा को दर्शाती है।
- – गीत में प्रेम और मिलन की सुंदरता को भावपूर्ण और मधुर स्वर में प्रस्तुत किया गया है।

श्याम बुलाए यमुना पार,
राधे कबसे निहारूं तेरी राह रे,
श्याम बुलाए यमुना पार।।
तर्ज – तुझको पुकारे मेरा प्यार।
श्याम कहे यमुना,
तट पर मीठी मीठी,
बातें करेंगे,
प्रेम की गंगा में,
अमृत की धारा जैसे,
हम तो बहेंगे,
बहती ही जाए प्रेम धार,
राधे कबसे निहारूं तेरी राह रे,
श्याम बुलाए यमुना पार।।
हम दोनों का,
प्रेम है ऐसा जैसे,
चंदा चकोर का,
हम दोनों का,
मैल है ऐसा जैसे,
नदिया छोर का,
बंधन हमारा है अपार,
राधे कबसे निहारूं तेरी राह रे,
श्याम बुलाए यमुना पार।।
मधुबन की बगियाँ में,
फूलो के रंगो संग,
हम तो रंगेगे,
हम दोनो के,
रंग में गोपी ग्वाले,
सबको रंगेगे,
लहराए मस्ती की बहार,
राधे कबसे निहारूं तेरी राह रे,
श्याम बुलाए यमुना पार।।
राधा कहे कान्हा,
आने को आऊं पर.
शरम मुझको आए,
ना आऊँ तो,
तेरे बिना मुझको,
कुछ भी ना भाए,
आना ही होगा यमुना पार,
कान्हा मैं आ रही हूँ,
तेरे पास रे,
श्याम बुलाए यमुना पार।।
श्याम बुलाए यमुना पार,
राधे कबसे निहारूं तेरी राह रे,
श्याम बुलाए यमुना पार।।
स्वर – मयंक उपाध्याय जी।
