- – जीवन केवल दो दिन का है, इसलिए श्याम (भगवान) का ध्यान और भक्ति करना आवश्यक है।
- – जीवन को निर्झर (बहती नदी) के समान माना गया है, जिसमें भक्ति जीवन का पानी है।
- – सांसारिक बंधनों को तोड़कर कीर्तन और भजन में लीन होने से परम आनंद प्राप्त होता है।
- – घर की जिम्मेदारियों के साथ-साथ भगवान की भक्ति भी निभानी चाहिए, जैसा वेदों में बताया गया है।
- – मनुष्य को अपने कर्मों का हिसाब यमराज से देना होगा, इसलिए सांसारिक वस्तुओं में लिप्त न होकर श्याम का ध्यान लगाना चाहिए।
- – भक्ति और ध्यान से जीवन की अस्थिरता और माया से ऊपर उठकर सच्चा सुख और शांति मिलती है।

श्याम का ध्यान लगा ले बन्दे,
दो दिन की जिंदगानी है,
जीवन तो निर्झर है बन्दे,
भक्ति इसका पानी है,
श्याम का ध्यान लगा लें बन्दे,
दो दिन की जिंदगानी है,
श्याम का ध्यान लगा ले बन्दे।।
तर्ज – फूल तुम्हे भेजा है।
तोड़ के सारे बंधन बन्दे,
कीर्तन में तुम आ जाओ,
परमानन्द मिलेगा तुमको,
डुबकी जरा लगा जाओ,
भजते भजते नाम प्रभु का,
तर गए लाखों प्राणी है,
श्याम का ध्यान लगा लें बन्दे,
दो दिन की जिंदगानी है,
श्याम का ध्यान लगा ले बन्दे।।
माना घर की जिम्मेदारी,
हमको आज निभानी है,
ये भी अपना फर्ज है प्यारे,
वेदों ने भी बखानी है,
ऐसे रहे हम जैसे रहता,
कमल पात पर पानी है,
श्याम का ध्यान लगा लें बन्दे,
दो दिन की जिंदगानी है,
श्याम का ध्यान लगा ले बन्दे।।
तेरी मेरी करते करते,
मन अपना कंगाल हुआ,
क्या लेकर धरती से आया,
यम पूछेगा सवाल वहां,
लख चौरासी भटक भटक कर,
मानुष काया पानी है,
श्याम का ध्यान लगा लें बन्दे,
दो दिन की जिंदगानी है,
श्याम का ध्यान लगा ले बन्दे।।
श्याम का ध्यान लगा ले बन्दे,
दो दिन की जिंदगानी है,
जीवन तो निर्झर है बन्दे,
भक्ति इसका पानी है,
श्याम का ध्यान लगा लें बन्दे,
दो दिन की जिंदगानी है,
श्याम का ध्यान लगा ले बन्दे।।
स्वर – अंजलि जैन।
