- – यह गीत श्याम (कृष्ण) के प्रति गहरी भक्ति और प्रेम को दर्शाता है, जिसमें एक महिला अपनी शादी और सुहागन होने की खुशी व्यक्त करती है।
- – गीत में मेहंदी रचाने, घूंघट पहनने और श्याम के संग ब्रज नगरी जाने की कल्पना की गई है।
- – महिला श्याम के साथ जीवन बिताने, उनके संग नाचने-गाने और उनकी सेवा करने की इच्छा प्रकट करती है।
- – श्याम के नाम की मांग भरी और चुनरिया ओढ़कर वह अपने प्रेम और समर्पण का इजहार करती है।
- – गीत में सात जन्मों तक श्याम की सुहागन रहने और जीवन सफल बनाने की भावना व्यक्त की गई है।
- – यह भक्ति गीत जय किशोरी जी द्वारा गाया गया है, जो आध्यात्मिक और प्रेमपूर्ण भावनाओं को उजागर करता है।

श्याम नाम की मेहंदी रचाकर,
घूँघट में शर्माउंगी,
बनके दुल्हनिया श्याम पिया की,
ब्रज नगरी अब जाउंगी,
ब्रज नगरी अब जाउंगी।।
श्याम नाम की मांग भरी और,
श्याम चुनरिया ओढ़ी रे,
श्याम प्रीत रंग राची ऐसी,
दुनिया से मुख मोड़ी रे,
वो मेरा हो जायेगा और,
मैं उसकी हो जाउंगी,
बनके दुल्हनिया श्याम पिया की,
ब्रज नगरी अब जाउंगी,
ब्रज नगरी अब जाउंगी।।
गईया चराने वो जायेंगे,
मैं उनके संग जाउंगी,
श्याम बजायेंगे बंशी,
और मैं नाचूंगी गाउंगी,
थक जायेंगे श्याम पिया तो,
थक जायेंगे श्याम पिया तो,
उनके चरण दबाऊँगी,
बनके दुल्हनिया श्याम पिया की,
ब्रज नगरी अब जाउंगी,
ब्रज नगरी अब जाउंगी।।
सूरज रंग चढ़ा मेहंदी का,
मैं तो ऐसी लाल भई,
श्याम पिया की बनके सुहागन,
सातो जनम निहाल हुई,
सदा सुहागन कहलाउंगी,
सदा सुहागन कहलाउंगी,
जीवन सफल बनाउंगी,
बनके दुल्हनिया श्याम पिया की,
ब्रज नगरी अब जाउंगी,
ब्रज नगरी अब जाउंगी।।
श्याम नाम की मेहंदी रचाकर,
घूँघट में शर्माउंगी,
बनके दुल्हनिया श्याम पिया की,
ब्रज नगरी अब जाउंगी,
ब्रज नगरी अब जाउंगी।।
Singer : Jaya Kishori Ji
