श्याम प्यारे की है सरकार,
हमें डर काहे को,
काहे को डर काहे को,
नीले वाले की है सरकार,
हमें डर काहे को ॥
धन दौलत और माल खज़ाना,
मुझको श्याम ना चाहिए,
इस जीवन की एक ही इच्छा,
घर मेरे भी आइये,
अपनों श्याम धणी है सरकार,
हमें डर काहे को,
नीले वाले की है सरकार,
हमें डर काहे को ॥
जो भी सेवा बनी है हमसे,
उसको तुम स्वीकार करो,
दास तेरे दरबार खड़े हैम ,
सर पे दया का हाथ धरो,
बाबा सब पर लुटावे अपनों प्यार,
हमें डर काहे को
नीले वाले की है सरकार,
हमें डर काहे को ॥
सेठों का तू सेठ कहाये,
लखदातार कहता है,
द्वार पे जो भी रोता आये,
हँसता हँसता जाता है,
पल में दुखियों की सुनले पुकार,
हमें डर काहे को,
नीले वाले की है सरकार,
हमें डर काहे को ॥
जिसको मिली है श्याम चाकरी,
वही तो किस्मत वाला है,
पल में कष्ट मिटाये सबके,
यही वो खाटू वाला है,
‘राज’ कहता है बारम्बार,
हमें डर काहे को,
नीले वाले की है सरकार,
हमें डर काहे को ॥
श्याम प्यारे की है सरकार,
हमें डर काहे को,
काहे को डर काहे को,
नीले वाले की है सरकार,
हमें डर काहे को ॥
श्याम प्यारे की है सरकार, हमें डर काहे को: गहन विश्लेषण और आध्यात्मिक अर्थ
यह भजन गहरे आध्यात्मिक अर्थों से भरा हुआ है। हर पंक्ति न केवल भगवान श्याम के प्रति श्रद्धा प्रकट करती है, बल्कि उनके भक्तों को भक्ति, समर्पण और आत्मशांति का एक स्पष्ट संदेश देती है। यह भजन जीवन के मूलभूत सत्य को उद्घाटित करता है और हमें यह समझने की प्रेरणा देता है कि भौतिक संसार के भय और चिंता से ऊपर उठने के लिए श्याम की शरण सर्वोत्तम उपाय है। यहां प्रत्येक पंक्ति का विस्तृत अर्थ और इसके पीछे छिपे आध्यात्मिक विचार प्रस्तुत किए गए हैं।
श्याम प्यारे की है सरकार, हमें डर काहे को
गहन अर्थ:
सरकार का अर्थ यहां “पालनकर्ता” और “सर्वोपरि अधिकार” है। भक्त यह स्वीकार करता है कि भगवान श्याम इस ब्रह्मांड के अधिपति हैं। उनके संरक्षण में भय का कोई स्थान नहीं।
इस पंक्ति का संदेश यह है कि भय तभी होता है जब हम यह भूल जाते हैं कि हमारी आत्मा का असली रक्षक और सहारा भगवान हैं। भक्त अपनी पहचान को अपने सांसारिक अस्तित्व से ऊपर उठाकर श्याम की शरण में समर्पित करता है।
“काहे को डर काहे को, नीले वाले की है सरकार”
आध्यात्मिक संदर्भ:
“नीला” भगवान कृष्ण के अनंत और दिव्य स्वरूप का प्रतीक है। यह अनंतता भक्त को यह आश्वासन देती है कि उनकी रक्षा के लिए ईश्वर की शक्ति अनंत है। नीला रंग गहराई और शांति का भी प्रतीक है। इस पंक्ति में भक्त अपने भीतर श्याम के प्रति विश्वास और आत्मशांति का आह्वान करता है।
धन दौलत और माल खज़ाना, मुझको श्याम ना चाहिए
गहरी व्याख्या:
यहां सांसारिक वस्तुओं की तुच्छता का वर्णन है। भक्त यह समझता है कि धन, दौलत और भौतिक संपत्ति आत्मा की शांति प्रदान नहीं कर सकते।
यह भक्ति मार्ग की वह अवस्था है, जहां भक्त ने सांसारिक सुखों की सीमाओं को पहचान लिया है और अब केवल आध्यात्मिक संपदा के लिए लालायित है।
“इस जीवन की एक ही इच्छा, घर मेरे भी आइये”
अर्थ का विस्तार:
यह पंक्ति परमात्मा के प्रति अनन्य प्रेम और अपने जीवन को उनके चरणों में समर्पित करने की आकांक्षा को दर्शाती है। भक्त भगवान को आमंत्रित कर कहता है कि मेरे जीवन में केवल आपकी उपस्थिति ही इस जीवन को अर्थपूर्ण बना सकती है।
यह भगवान को अपने भीतर अनुभव करने की गहरी चाह का प्रतीक है।
जो भी सेवा बनी है हमसे, उसको तुम स्वीकार करो
गहन आध्यात्मिकता:
भक्त अपनी सीमाओं को समझते हुए भगवान से प्रार्थना करता है कि जो भी सेवा उसने की है, उसे स्वीकार करें। यह बताता है कि सेवा का मापदंड भगवान की कृपा है, न कि सेवा का बाहरी स्वरूप।
यहां “स्वीकृति” का अर्थ है भक्त के प्रयासों को भगवान द्वारा प्रेमपूर्वक ग्रहण करना।
“दास तेरे दरबार खड़े हैं, सर पे दया का हाथ धरो”
आध्यात्मिक चिंतन:
यह पंक्ति ईश्वर की दया का आह्वान करती है। “दास” का अर्थ है पूर्ण समर्पण। भक्त अपने आप को भगवान के दरबार का एक सेवक मानता है। “सर पर दया का हाथ” आत्मिक शांति और सभी संकटों से मुक्ति का प्रतीक है।
बाबा सब पर लुटावे अपनों प्यार, हमें डर काहे को
गहरी भावना:
यह पंक्ति श्याम के स्वभाव का वर्णन करती है। वे प्रेम के स्रोत हैं और उनका प्रेम सभी जीवों पर समान रूप से बरसता है।
इसका अर्थ यह है कि जब भगवान का प्रेम उपलब्ध है, तब भय, चिंता या दुख के लिए कोई स्थान नहीं बचता।
सेठों का तू सेठ कहाये, लखदातार कहता है
व्याख्या:
भगवान को “सेठों का सेठ” और “लखदातार” कहा गया है। यह दर्शाता है कि भगवान इस संसार की सभी संपत्तियों और शक्तियों के मूल स्रोत हैं।
यहां एक और गूढ़ संदेश है कि सांसारिक धन प्राप्त करने की बजाय, आत्मा की वास्तविक संपत्ति को पहचानना अधिक महत्वपूर्ण है।
“द्वार पे जो भी रोता आये, हँसता हँसता जाता है”
गहराई से समझें:
यह भगवान की कृपा का शक्तिशाली प्रमाण है। जो भी उनके द्वार पर आता है, उसका दुख दूर हो जाता है। इसका अर्थ है कि भगवान अपने भक्तों के आंसुओं को खुशी में बदलने की असीम शक्ति रखते हैं।
यह भक्त के विश्वास को और भी मजबूत करता है कि भगवान श्याम ही सच्चे सहारा हैं।
पल में दुखियों की सुनले पुकार, हमें डर काहे को
आध्यात्मिक संदेश:
यह पंक्ति बताती है कि भगवान श्याम अपने भक्तों की पुकार को तुरंत सुनते हैं। “पल में” का तात्पर्य है कि भगवान अपने भक्तों के प्रति सदैव जागरूक और तत्पर रहते हैं।
यह विश्वास आत्मा को हर प्रकार के डर और अनिश्चितता से मुक्त करता है।
जिसको मिली है श्याम चाकरी, वही तो किस्मत वाला है
गहराई में अर्थ:
भजन के इस भाग में “श्याम की चाकरी” का अर्थ है भगवान की सेवा और उनकी भक्ति। यह सेवा सांसारिक जीवन के सबसे बड़े सौभाग्य के रूप में देखी जाती है।
यह पंक्ति यह सिखाती है कि वास्तविक सुख और सौभाग्य भौतिक उपलब्धियों में नहीं, बल्कि भगवान की सेवा में है।
“पल में कष्ट मिटाये सबके, यही वो खाटू वाला है”
विशेष ध्यान:
“खाटू वाला” भगवान श्याम के एक विशेष रूप का संकेत है। यह पंक्ति यह बताती है कि भगवान न केवल महान हैं, बल्कि वे अपने भक्तों के कष्टों को मिटाने में भी अत्यंत तत्पर हैं।
‘राज’ कहता है बारम्बार, हमें डर काहे को
अंतिम गहराई:
यह पंक्ति भक्त “राज” के द्वारा अपनी भक्ति और विश्वास को दृढ़ता से व्यक्त करती है। बार-बार दोहराना यह दर्शाता है कि यह संदेश इतना महत्वपूर्ण है कि इसे भूलना नहीं चाहिए।
यह भक्त को यह भी सिखाता है कि भक्ति केवल एक कर्म नहीं, बल्कि जीवन का मार्ग है।
समापन
यह भजन गहराई से समझाता है कि भगवान श्याम के प्रति पूर्ण समर्पण और विश्वास सभी प्रकार के भय, चिंता और कष्टों को समाप्त कर सकता है। यह भजन भक्त को सिखाता है कि सांसारिक मोह-माया को छोड़कर भगवान की कृपा पर ध्यान केंद्रित करें।
इस भजन का प्रत्येक शब्द हमें हमारे जीवन के मूलभूत सत्य से परिचित कराता है: ईश्वर ही हमारे सच्चे सहायक और मार्गदर्शक हैं।