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श्याम सुन्दर और कब तक चुप रहे भजन लिरिक्स – Shyam Sundar Aur Kab Tak Chup Rahe Bhajan Lyrics – Hinduism FAQ

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  • – कविता में जीवन के दुःख और दर्द को गहराई से व्यक्त किया गया है।
  • – श्याम सुन्दर से संवाद करते हुए, कवि अपनी पीड़ा और मजबूरियों को साझा करना चाहता है।
  • – नाव और नदी के माध्यम से जीवन की कठिनाइयों और संघर्षों का प्रतीकात्मक चित्रण किया गया है।
  • – विश्वास और मझधार में फंसे होने की स्थिति को दर्शाया गया है, जो जीवन की अस्थिरता को दर्शाता है।
  • – कविता में भावनात्मक संवेदनशीलता और मन की बात कहने की तीव्र इच्छा झलकती है।
  • – स्वर संजय मित्तल जी का है, जो कविता की भावनाओं को और प्रभावशाली बनाता है।

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श्याम सुन्दर और कब तक चुप रहे,
हो इजाजत आपकी तो कुछ कहे,
श्याम सुन्दर और कब तक चुप रहे।।

तर्ज – दिल के अरमा आंसुओ में।



जिंदगी दुःख दर्द से बेहाल है,

जिंदगी दुःख दर्द से बेहाल है,
तुम ही सोचो और कितने गम सहे,
हो इजाजत आपकी तो कुछ कहे,
श्याम सुन्दर और कब तक चुप रहे।।



नांव हिचकोले नहीं सह पाएगी,

नांव हिचकोले नहीं सह पाएगी,
गहरी नदिया जोर से धारा बहे,
हो इजाजत आपकी तो कुछ कहे,
श्याम सुन्दर और कब तक चुप रहे।।



आपको मालूम है मजबूरियां,

आपको मालूम है मजबूरियां,
दिल की बाते आपको अब क्या कहे,
हो इजाजत आपकी तो कुछ कहे,
श्याम सुन्दर और कब तक चुप रहे।।



नाव छोड़ी आपके विश्वास पर,

नाव छोड़ी आपके विश्वास पर,
‘बनवारी’ मझधार में ही रह गए,
हो इजाजत आपकी तो कुछ कहे,
श्याम सुन्दर और कब तक चुप रहे।।



श्याम सुन्दर और कब तक चुप रहे,

हो इजाजत आपकी तो कुछ कहे,
श्याम सुन्दर और कब तक चुप रहे।।

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स्वर – संजय मित्तल जी।


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