- – यह गीत श्यामा जी और बाबा जी से विनती और प्रार्थना का भाव व्यक्त करता है, जिसमें मन की पीड़ा और सहायता की मांग की गई है।
- – गीत में रात भर नींद न आने और मन की बेचैनी का वर्णन है, जो आत्मा की व्यथा को दर्शाता है।
- – गहरे संकट और कठिनाइयों का सामना करते हुए, गीतकार श्यामा जी और बाबा जी से मदद और दया की प्रार्थना करता है।
- – गीत में काम, क्रोध, मद और लोभ जैसी बुराइयों से पीड़ित आत्मा की भी व्यथा व्यक्त की गई है।
- – अंत में, गीतकार अपने माथे पर हाथ रखकर आशीर्वाद देने की कामना करता है और श्यामा जी से मन की मुराद पूरी करने की विनती करता है।

श्यामा जी कद म्हारी विनती सुणोला,
बाबा जी कद म्हारी अर्ज सुणोला,
विनती सुणोला,
म्हारी अर्ज सुणोला,
कद म्हारे मन की करोला,
श्यामा जी कद म्हारी विनती सुणोला।।
सारी सारी रात म्हाने नीँद नही आवै,
जागू तो म्हारो जीव घबरावै,
कद म्हारी पीड हरोला,
कद म्हारी पीड हरोला,
श्यामा जी कदे म्हारी विनती सुणोला,
बाबा जी कद म्हारी अर्ज सुणोला।।
गहरी गहरी नदियाँ नाव पुरानी,
सिर से ऊपर म्हारे चढ गयो पानी,
कद म्हाने पार करोला,
कद म्हाने पार करोला,
श्यामा जी कदे म्हारी विनती सुणोला,
बाबा जी कद म्हारी अर्ज सुणोला।।
तोह सम दीन दयाल नही है,
मोह सम दीन अनाथ नही है,
कद म्हारी मदद करोला,
कद म्हारी मदद करोला,
श्यामा जी कदे म्हारी विनती सुणोला,
बाबा जी कद म्हारी अर्ज सुणोला।।
निर्बल देह दया नही आवे,
काम, क्रोध, मद, लोभ सतावे,
कद म्हारी भीड चढोला,
कद म्हारी भीड चढोला,
श्यामा जी कदे म्हारी विनती सुणोला,
बाबा जी कद म्हारी अर्ज सुणोला।।
‘सोहन लाल’ थारा ही गुण गावे,
चरण कमल में शीश नवावे,
म्हारे माथा ऊपर हाथ धरोला,
म्हारे माथा ऊपर हाथ धरोला,
श्यामा जी कदे म्हारी विनती सुणोला,
बाबा जी कद म्हारी अर्ज सुणोला।।
श्यामा जी कद म्हारी विनती सुणोला,
बाबा जी कद म्हारी अर्ज सुणोला,
विनती सुणो ला,
म्हारी अर्ज सुणो ला,
कद म्हारे मन की करोला,
श्यामा जी कद म्हारी विनती सुणोला।।
Singer : Pappu Sharma
Sent By : Bharat Kumar
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