- – यह गीत श्यामा मेले की खुशी और उत्साह को दर्शाता है, जहाँ लोग मेले में जाकर आनंद लेते हैं।
- – गीत में रेवड़ी और मिठाइयों का उल्लेख है, जो मेले की मिठास और त्योहार की भावना को बढ़ाते हैं।
- – मेले में नए-नए खिलौने, कांच के गहने और रंग-बिरंगे सामान मिलते हैं, जो बच्चों और युवाओं को आकर्षित करते हैं।
- – गीत में पारिवारिक और सामाजिक मेलजोल की भावना प्रकट होती है, जहाँ लोग साथ मिलकर गाते-गाते मेले का आनंद लेते हैं।
- – श्यामा मेले का सांस्कृतिक महत्व और स्थानीय परंपराओं का जश्न गीत के माध्यम से व्यक्त किया गया है।
- – गीत में प्रेम और अपनत्व की भावना भी झलकती है, जो मेले की खुशियों को और भी बढ़ा देती है।

श्यामा मेला में ले चालू रे,
तने दिवाद्युं रेवड़ी,
मैं बड़ा तुलाल्यूं रे।।
चाले छे तो चाल साँवरा,
मेलो उल्टयो आवे,
तू बैठ्यो मन्दिर में रे,
दुनिया माल उड़ावे,
आजा तू क्यों देर लगावे रे,
तने दिवाद्युं रेवड़ी,
मैं बड़ा तुलाल्यूं रे,
श्यामा मेला में ले चालूँ रे।।
नया नया छे ख्याल खिलौना,
कांच गडूल्या मोती,
तने दिवादयु अलगोजा,
और मैं लेल्युला पोथी,
आपा गाता गाता चाला रे,
तने दिवाद्युं रेवड़ी,
मैं बड़ा तुलाल्यूं रे,
श्यामा मेला में ले चालूँ रे।।
सौ रूपया का खुल्ला कराले,
दे दे मेला खर्ची,
रेवाड़ी की रेवड़ी रे,
वा दिल्ली की बरफी,
आपा खाताखाता चाला रे,
तने दिवाद्युं रेवड़ी,
मैं बड़ा तुलाल्यूं रे,
श्यामा मेला में ले चालूँ रे।।
घणो सार को गेर मसालो,
चाबा नागर-पान,
गुम जावलो सागे रिजे,
कहबो म्हारा मान,
तेने आंगली पकड़ा लूँ रे,
तने दिवाद्युं रेवड़ी,
मैं बड़ा तुलाल्यूं रे,
श्यामा मेला में ले चालूँ रे।।
‘सोहन लाल’ का लाडला,
तने राखू हृदय माहीं,
आज तो मन्दिर के बाहर,
आजा रे सांचा ही,
तन्ने ताला मैं जुड़ देल्या रे,
तने दिवाद्युं रेवड़ी,
मैं बड़ा तुलाल्यूं रे,
श्यामा मेला में ले चालूँ रे।।
श्यामा मेला में ले चालू रे,
तने दिवाद्युं रेवड़ी,
मैं बड़ा तुलाल्यूं रे।।
Singer – Babu Lal Sharma
