भजन

सोऐ को सँत जगाऐ फिर नीँद न उसको आऐ – Soe Ko Sant Jagae Phir Neend Na Usko Aae – Hinduism FAQ

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  • – भजन में चेतना और जागरूकता का महत्व बताया गया है, जिसमें सोए हुए व्यक्ति को जगाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
  • – जीवन में सही मार्ग पर चलने और भगवान की भक्ति करने की प्रेरणा दी गई है, ताकि आत्मा का उद्धार हो सके।
  • – मन को अहंकार और मोह से दूर रखकर गुरु और भगवान की कृपा प्राप्त करने का संदेश है।
  • – गुरु चरणों में समर्पण और सतगुरु का सुमिरन करने से मन की शांति और दया प्राप्त होती है।
  • – बार-बार यह कहा गया है कि जो व्यक्ति जागरूक होकर भी फिर से सो जाता है, उसे जगाना बहुत कठिन है।
  • – भजन के लेखक श्री शिवनारायण वर्मा हैं, जिन्होंने आध्यात्मिक जागरूकता पर यह सुंदर रचना प्रस्तुत की है।

सोऐ को सँत जगाऐ,
फिर नीँद न उसको आऐ,
जो जाग के फिर सो जाऐ,
उसे कोन जगाऐ,
हो उसे कोन जगाऐ।।

तर्ज – चिन्गारी कोई भड़के।



मर मर कर हम जीते थे,

जी जी कर अब मरते है,
क्या बात है ओ मेरे मनवा,
हरि को नही क्यो भजते है,
मौका है जो सँभल जाऐ,
तो नैया ये तर जाऐ,
जो जाग के फिर सो जाऐ,
उसे कोन जगाऐ,
हो उसे कोन जगाऐ।।



इतना क्यो इतराता है,

पाकर यह सुन्दर काया,
यह सोच जरा ओ मनवा,
जग मे तुझे कोन है लाया,
हरि रूठे तो मनजाए,
गुरू रूठे ठौर न पाए,
जो जाग के फिर सो जाऐ,
उसे कोन जगाऐ,
हो उसे कोन जगाऐ।।



आजा तू गुरू चरणो मे,

करदे तन मन सब अर्पण,
फिर बैठ के तू सतगुरू का,
मन से करले जो सुमिरन,
चिँतन मे जो खो जाए,
तो गुरू की दया हो जाए,
जो जाग के फिर सो जाऐ,
उसे कोन जगाऐ,
हो उसे कोन जगाऐ।।

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सोऐ को सँत जगाऐ,

फिर नीँद न उसको आऐ,
जो जाग के फिर सो जाऐ,
उसे कोन जगाऐ,
हो उसे कोन जगाऐ।।

– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923

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