- – यह गीत बालाजी गोलासन वाले की महिमा और उनके प्रति श्रद्धा को दर्शाता है, जो गोलासन नगरी में विराजमान हैं।
- – गीत में काली गाड़ी लाने की बात कही गई है, जो भक्ति और उत्सव का प्रतीक है।
- – मंगल शनि के मेले में दूर-दूर से यात्री आते हैं, लाल ध्वजा लहराते हैं और भोग चढ़ाते हैं।
- – बालाजी को भक्तों का हितकारी बताया गया है, जो उनके दुखों को दूर करते हैं।
- – बिश्नोई समुदाय की भक्ति और ‘बिश्नोई ओम’ के जाप का उल्लेख है, जो मनोकामनाओं की पूर्ति का माध्यम है।
- – गीत में गरीबी से सेठ बनने की प्रेरणा और आत्मविश्वास की भावना भी व्यक्त की गई है।

सुण रे बालाजी गोलासन वाला,
काली गाडी लाणी है,
घणा गरीबा ने सेठ बणाया,
अबके बारी म्हारी है।।
गोलासन नगरी घणी सोवणी,
घणी रुपाली लागे है,
गोलासन नगरी घणी सोवणी,
घणी रुपाली लागे है,
जिणमे विराज्या बालाजी,
आ मूरत प्यारी लागे है,
सुन रे बालाजी गोलासन वाला,
काली गाड़ी लानी है।।
मंगल शनि रो मेलो भरीजे,
भीड़ लागे हद भारी है,
मंगल शनि रो मेलो भरीजे,
भीड़ लागे हद भारी है,
दूर दूर सूं आवे यात्री,
आवे नर और नारी है,
सुन रे बालाजी गोलासन वाला,
काली गाड़ी लानी है।।
पैदल पैदल आवे यात्री,
लाल धजा लहरावे है,
पैदल पैदल आवे यात्री,
लाल धजा लहरावे है,
घृत खोपरा खूब चढ़ावे,
भोग सवामणी लावे है,
सुन रे बालाजी गोलासन वाला,
काली गाड़ी लानी है।।
गढ़ गोलासन बैठा बालाजी,
भगता रा हितकारी है,
गढ़ गोलासन बैठा बालाजी,
भगता रा हितकारी है,
पल में सबरा दुखड़ा मेटे,
पूजे नर और नारी है,
सुन रे बालाजी गोलासन वाला,
काली गाड़ी लानी है।।
‘बिश्नोई ओम’ महिमा गावे,
चरणां मांही राखो थे,
बिश्नोई ओम महिमा गावे,
चरणां मांही राखो थे,
मन री आस पूरी करीजो,
सिर पर हाथ राखो थे,
सुन रे बालाजी गोलासन वाला,
काली गाड़ी लानी है।।
सुण रे बालाजी गोलासन वाला,
काली गाडी लाणी है,
घणा गरीबा ने सेठ बणाया,
अबके बारी म्हारी है।।
गायक – ओमकृष्ण बिश्नोई सांचौर।
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