- – यह गीत नवरात्रि के त्योहार और माँ दुर्गा की पूजा की भक्ति भावनाओं को दर्शाता है।
- – गीत में माँ दुर्गा के सुंदर श्रृंगार, जैसे सोने का टीका, कंगना, झुमके और लाल चुनरी का वर्णन है।
- – माँ दुर्गा के शेर पर सवारी करने और त्रिशूल धारण करने की महिमा का उल्लेख है।
- – माँ दुर्गा द्वारा चण्ड-मुण्ड और महिषासुर का वध कर दुष्टों का अंत करने की कथा प्रस्तुत की गई है।
- – नौ कन्याओं के साथ नौमी का उत्सव मनाने और भक्तों द्वारा हलवे का भोग लगाने की परंपरा का वर्णन है।
- – माँ और भक्त के बीच गहरे प्रेम और श्रद्धा के रिश्ते को गीत में खूबसूरती से व्यक्त किया गया है।

सुन्दर सज़ा दरबार मैया का,
मैं दीवानी हो गई,
मैं दीवानी हो गई, मैया,
मैं दीवानी हो गई,
प्यारा सज़ा दरबार मैया का,
मैं दीवानी हो गई।।
तर्ज – सांवली सूरत पे मोहन।
नवरात्रि का त्योहार आया,
भक्त करे तेरा इंतज़ार,
नव दिन मैया का आना और,
मैं दीवानी हो गई,
सुन्दर सज़ा दरबार मईया का,
मैं दीवानी हो गई।।
सिर पे मैया सोने का टीका,
हाथो में कंगना है सज़ा,
कानो में झुमके की लटकन,
मैं दीवानी हो गई,
सुन्दर सज़ा दरबार मईया का,
मैं दीवानी हो गई।।
हे अंबे तेरी लाल चुनरिया,
जिसपे गोटा है लगा,
मैया को चुनरी ओढाना,
मैं दीवानी हो गई,
सुन्दर सज़ा दरबार मईया का,
मैं दीवानी हो गई।।
करती दुर्गे शेर सवारी,
हाथ में त्रिशूल धरा,
उँचे पर्वत भवन मैया का,
मैं दीवानी हो गई,
सुन्दर सज़ा दरबार मईया का,
मैं दीवानी हो गई।।
मैया ने चण्ड मुण्ड को मारा,
महिषासुर का सिर कटा,
दुष्टो का यूँ अंत करना,
मैं दीवानी हो गई,
सुन्दर सज़ा दरबार मईया का,
मैं दीवानी हो गई।।
छत्र नारियल भेट मैया की,
उसपे तेरी लाल ध्वजा,
भक्तो का जयकारे लगाने,
मैं दीवानी हो गई,
सुन्दर सज़ा दरबार मईया का,
मैं दीवानी हो गई।।
नौमी में जीमे नौ कन्याए,
संग में है लंगुरिया,
पूरी हलवे का भोग लगाना,
मैं दीवानी हो गई,
सुन्दर सज़ा दरबार मईया का,
मैं दीवानी हो गई।।
सांची प्रीत है मैया तुम्हारी,
तुम ही हो माता मेरी,
माँ बेटी का रिश्ता पुराना,
मैं दीवानी हो गई,
सुन्दर सज़ा दरबार मईया का,
मैं दीवानी हो गई।।
सुन्दर सज़ा दरबार मैया का,
मैं दीवानी हो गई,
मैं दीवानी हो गई, मैया,
मैं दीवानी हो गई,
प्यारा सज़ा दरबार मैया का,
मैं दीवानी हो गई।।
