- – यह कविता माँ की सुंदरता और दिव्यता का वर्णन करती है, जिसमें उनका सुनहरा मुकुट और त्रिशूल-चक्र उनके हाथों में दिखाए गए हैं।
- – माँ को तीनों लोकों में अद्वितीय और सर्वोच्च माना गया है, जिनकी छवि और रूप सभी को प्रिय हैं।
- – भक्तों के भजन से माँ प्रसन्न होती हैं और उनके ऊपर फूलों की बरसात होती है।
- – माँ की सवारी सिंह पर है, जो उनकी शक्ति और शान को दर्शाता है।
- – कविता में माँ की पूजा और उनके दर्शन के लिए भक्तों के आगमन का उल्लेख है, जो बिगड़े कार्यों को सुधारते हैं।
- – पूरे गीत में माँ की अद्भुत और निराली ठाट की प्रशंसा की गई है, जो सभी के मन को मोह लेती है।

सूरत बड़ी है प्यारी माँ की,
मूरत की क्या बात है,
सर पर सोहे मुकुट सुनहरा,
त्रिशूल चक्र भी हाथ है,
सज धज कर बैठी हो मैया,
अजब निराली ठाट है,
वाह वाह क्या बात है,
वाह वाह क्या बात है।।
छवि तुम्हारी ऐसी मैया,
दूजी कोई और नहीं,
तीन लोक तेरे जैसा,
दूजा माँ सिरमौर नहीं,
लाल लाल मेहंदी ज्वाला जी,
रची तुम्हारे हाथ है,
वाह वाह क्या बात है,
वाह वाह क्या बात है।।
हर एक रूप में प्यारी लगती,
सबका चित्त चुराती हो,
भक्त तुम्हारा भजन करे तो,
मन ही मन मुस्काती हो,
अंबर से होती है तुझपे,
फूलो की बरसात है,
वाह वाह क्या बात है,
वाह वाह क्या बात है।।
आज तुम्हारे इस दर्शन को,
सेवक तुम्हारे आये है,
चोखानी के तुमने ही तो,
बिगड़े काज बनाये है,
सिंघ सवारी करती मैया,
अजब निराली शान है,
वाह वाह क्या बात है,
वाह वाह क्या बात है।।
सूरत बड़ी है प्यारी माँ की,
मूरत की क्या बात है,
सर पर सोहे मुकुट सुनहरा,
त्रिशूल चक्र भी हाथ है,
सज धज कर बैठी हो मैया,
अजब निराली ठाट है,
वाह वाह क्या बात है,
वाह वाह क्या बात है।।
