- – यह गीत गुरु के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करता है, जिसमें गुरु को जीवन में ज्ञान और खुशियाँ लाने वाला बताया गया है।
- – गुरु को “सूरी राया” और “मनोज्ञ सूरी गुरु” के रूप में संबोधित किया गया है, जो उनके महत्व और प्यारे स्वभाव को दर्शाता है।
- – गुरु की कृपा को सावन की बारिश से तुलना करते हुए जीवन को धन्य और सुखमय बताया गया है।
- – गीत में गुरु के आने से आँगन में खुशियाँ छा जाने का वर्णन है, जो उनके प्रभाव की गहराई को दर्शाता है।
- – रचनाकार दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’ ने इस गीत को लिखा और गाया है, जो नागदा जक्शन, मध्य प्रदेश से संबंधित हैं।

सूरी राया रे म्हारा गुरु राया रे,
प्यारा मनोज्ञ सूरी गुरु राया,
म्हारे मनडे भाया रे,
म्हारा मनोज्ञ सूरी गुरु राया,
म्हारे आँगण आया रे।।
तर्ज – वारी जाऊं रे।
गुरु कुमकुम पगलिये पधारियाँ,
भगतो रा भाग्य सँवारीया,
गुरु ज्ञान की ज्योत जगाई,
म्हारे आँगण खुशियाँ छाई,
गुरु दर्श है म्हाने दिखाया,
म्हारे मनडे भाया रे,
म्हारा मनोज्ञ सूरी गुरु राया,
म्हारे आँगण आया रे।।
है माँ देमी रा नंदन,
थाने कोटि कोटि वन्दन,
गुरु कृपा रो बरसे सावन,
हुयो धन्य यो म्हारो जीवन,
दिलबर महेश ने गाया,
म्हारे मनडे भाया रे,
म्हारा मनोज्ञ सूरी गुरु राया,
म्हारे आँगण आया रे।।
सूरी राया रे म्हारा गुरु राया रे,
प्यारा मनोज्ञ सूरी गुरु राया,
म्हारे मनडे भाया रे,
म्हारा मनोज्ञ सूरी गुरु राया,
म्हारे आँगण आया रे।।
गायक एवं रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365
