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तनधारी जग में अवधु कोई नहीं सुखिया रे – Tandhari Jag Mein Avadhu Koi Nahi Sukhiya Re – Hinduism FAQ

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  • – इस दोहे में संसार के सभी जीवों के दुखों का वर्णन किया गया है, जहाँ तन और मन दोनों ही दुखी रहते हैं।
  • – ब्रह्मा, विष्णु सहित सभी देवता और अवतार भी दुखी हैं, यह दर्शाता है कि दुख संसार का सामान्य हिस्सा है।
  • – पृथ्वी, आकाश, पवन और पानी जैसे प्राकृतिक तत्व भी दुखी हैं, जिससे सम्पूर्ण सृष्टि में पीड़ा व्याप्त है।
  • – राजा और प्रजा दोनों ही दुखी हैं, यह बताता है कि सामाजिक स्थिति के बावजूद कोई भी दुख से मुक्त नहीं है।
  • – गोरख जी के अनुसार, जो राम का भजन करता है वही सच्चा सुखी होता है, अर्थात् भक्ति से ही दुखों से मुक्ति संभव है।
  • – अंत में यह दोहा यह संदेश देता है कि इस तनधारी जगत में कोई पूर्ण सुखी नहीं है, सभी जन्म लेकर दुखी होते हैं।

तनधारी जग में अवधु,

दोहा- कोई तन दुःखी,
कोई मन दुखी,
थोड़े थोड़े सब दुखी,
सुखी राम को दास।

तनधारी जग में अवधु,
कोई नहीं सुखिया रे,
जन्म लियोड़ा सब दुखिया रे।।



ब्रम्हा भी दुखिया अवधु,

विष्णु भी दुखिया रे,
दुखिया दसो अवतारा रे,
तनधारी जग में अवधू,
कोई नहीं सुखिया रे,
जन्म लियोड़ा सब दुखिया रे।।



धरती भी दुखिया अवधु,

अम्बर भी दुखिया रे,
दुखिया पवन पानी रे,
तनधारी जग में अवधू,
कोई नहीं सुखिया रे,
जन्म लियोड़ा सब दुखिया रे।।



राजा भी दुखिया अवधु,

प्रजा भी दुखिया रे,
दुखिया सकल संसारा रे,
तनधारी जग में अवधू,
कोई नहीं सुखिया रे,
जन्म लियोड़ा सब दुखिया रे।।



शरणे मंछन्दर जति,

गोरख बोले रे,
रामजी भजे वो ही सुखिया रे,
तनधारी जग में अवधू,
कोई नहीं सुखिया रे,
जन्म लियोड़ा सब दुखिया रे।।

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Singer – Prakash Mali Ji
Upload By – BHAVESH JANGID
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https://youtu.be/DJ9iSUhAYhQ

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