परिचय
भारतीय पंचांग के अनुसार, तृतीया तिथि, जिसे तीज के नाम से भी जाना जाता है, हर माह दो बार आती है – एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में। पूरे वर्ष में कुल 24 बार तीज तिथि होती है। यह तिथि धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यदि आप तीज तिथि की सटीक जानकारी और महत्व जानना चाहते हैं, तो इस लेख में आपको तीज के पूरे कैलेंडर की जानकारी मिलेगी।
2025 में तीज कब है?
नीचे 2025 में आने वाली सभी तीज तिथियों की सूची दी गई है। यह सूची तिथियों और वार के अनुसार तैयार की गई है।
2025 में तीज तिथियों की पूरी सूची
यहां 2025 में आने वाली सभी तृतीया तिथियों की सूची दी गई है। इसमें हर महीने की शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की तिथियां, वार, और संबंधित जानकारी दी गई है।
तारीख | तृतीया तिथि | वार |
---|---|---|
2 जनवरी 2025 | शुक्ल पक्ष की तीज | गुरुवार |
16 जनवरी 2025 | कृष्ण पक्ष की तीज | गुरुवार |
1 फरवरी 2025 | शुक्ल पक्ष की तीज | शनिवार |
15 फरवरी 2025 | कृष्ण पक्ष की तीज | शनिवार |
2 मार्च 2025 | शुक्ल पक्ष की तीज | रविवार |
17 मार्च 2025 | कृष्ण पक्ष की तीज | सोमवार |
16 अप्रैल 2025 | कृष्ण पक्ष की तीज | बुधवार |
30 अप्रैल 2025 | शुक्ल पक्ष की तीज | बुधवार |
15 मई 2025 | कृष्ण पक्ष की तीज | गुरुवार |
29 मई 2025 | शुक्ल पक्ष की तीज | गुरुवार |
14 जून 2025 | कृष्ण पक्ष की तीज | शनिवार |
28 जून 2025 | शुक्ल पक्ष की तीज | शनिवार |
13 जुलाई 2025 | कृष्ण पक्ष की तीज | रविवार |
27 जुलाई 2025 | शुक्ल पक्ष की तीज | रविवार |
12 अगस्त 2025 | कृष्ण पक्ष की तीज | मंगलवार |
26 अगस्त 2025 | शुक्ल पक्ष की तीज | मंगलवार |
10 सितंबर 2025 | कृष्ण पक्ष की तीज | बुधवार |
24 सितंबर 2025 | शुक्ल पक्ष की तीज | बुधवार |
9 अक्टूबर 2025 | कृष्ण पक्ष की तीज | गुरुवार |
24 अक्टूबर 2025 | शुक्ल पक्ष की तीज | शुक्रवार |
8 नवंबर 2025 | कृष्ण पक्ष की तीज | शनिवार |
23 नवंबर 2025 | शुक्ल पक्ष की तीज | रविवार |
7 दिसंबर 2025 | कृष्ण पक्ष की तीज | रविवार |
23 दिसंबर 2025 | शुक्ल पक्ष की तीज | मंगलवार |
तिथि के महत्व और मासिक विवरण
जनवरी 2025
- शुक्ल पक्ष की तीज: 2 जनवरी (गुरुवार)
- कृष्ण पक्ष की तीज: 16 जनवरी (गुरुवार)
फरवरी 2025
- शुक्ल पक्ष की तीज: 1 फरवरी (शनिवार)
- कृष्ण पक्ष की तीज: 15 फरवरी (शनिवार)
मार्च 2025
- शुक्ल पक्ष की तीज: 2 मार्च (रविवार)
- कृष्ण पक्ष की तीज: 17 मार्च (सोमवार)
अप्रैल 2025
- कृष्ण पक्ष की तीज: 16 अप्रैल (बुधवार)
- शुक्ल पक्ष की तीज: 30 अप्रैल (बुधवार)
मई 2025
- कृष्ण पक्ष की तीज: 15 मई (गुरुवार)
- शुक्ल पक्ष की तीज: 29 मई (गुरुवार)
जून 2025
- कृष्ण पक्ष की तीज: 14 जून (शनिवार)
- शुक्ल पक्ष की तीज: 28 जून (शनिवार)
जुलाई 2025
- कृष्ण पक्ष की तीज: 13 जुलाई (रविवार)
- शुक्ल पक्ष की तीज: 27 जुलाई (रविवार)
अगस्त 2025
- कृष्ण पक्ष की तीज: 12 अगस्त (मंगलवार)
- शुक्ल पक्ष की तीज: 26 अगस्त (मंगलवार)
सितंबर 2025
- कृष्ण पक्ष की तीज: 10 सितंबर (बुधवार)
- शुक्ल पक्ष की तीज: 24 सितंबर (बुधवार)
अक्टूबर 2025
- कृष्ण पक्ष की तीज: 9 अक्टूबर (गुरुवार)
- शुक्ल पक्ष की तीज: 24 अक्टूबर (शुक्रवार)
नवंबर 2025
- कृष्ण पक्ष की तीज: 8 नवंबर (शनिवार)
- शुक्ल पक्ष की तीज: 23 नवंबर (रविवार)
दिसंबर 2025
- कृष्ण पक्ष की तीज: 7 दिसंबर (रविवार)
- शुक्ल पक्ष की तीज: 23 दिसंबर (मंगलवार)
तीज और तृतीया का धार्मिक महत्व
तीज का धार्मिक संदर्भ
तीज का महत्व भारतीय धर्म और परंपरा में गहराई से जुड़ा हुआ है। यह तिथि विशेष रूप से भगवान विष्णु और मां पार्वती की पूजा-अर्चना के लिए जानी जाती है। यह दिन उपवास रखने और ध्यान व पूजा के माध्यम से आंतरिक शांति प्राप्त करने के लिए उपयुक्त माना जाता है। कई स्थानों पर महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं और अपने परिवार की समृद्धि और सौभाग्य के लिए प्रार्थना करती हैं।
व्रत का महत्व
तीज के व्रत का पालन करने से व्यक्ति को अपने जीवन में आत्मिक संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, तीज पर किए गए व्रत और दान-पुण्य से भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
सांस्कृतिक परंपराएं
- महिलाओं के लिए विशेष दिन: यह दिन विशेष रूप से महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। वे पारंपरिक परिधान पहनती हैं, गहनों से सजी-धजी रहती हैं, और सामूहिक रूप से भजन-कीर्तन में भाग लेती हैं।
- पारंपरिक भोजन: तीज के अवसर पर कई स्थानों पर विशेष मिठाइयों और पकवानों का आयोजन किया जाता है। खासतौर पर “घेवर” तीज का प्रतीक बन चुका है।
निष्कर्ष
2025 में तीज तिथियों की पूरी जानकारी आपको धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से तैयार होने में मदद करेगी। हर महीने की तृतीया तिथि को ध्यान में रखते हुए, आप व्रत और पूजा की योजना बना सकते हैं। इस लेख में दी गई तिथियां और उनके महत्व आपकी धार्मिक मान्यताओं को और गहराई से समझने में सहायक होंगी।
ध्यान दें: तिथियां पंचांग के अनुसार बदल सकती हैं। इसलिए, पूजा या व्रत की योजना बनाते समय स्थानीय पंडित या पंचांग की सलाह अवश्य लें।