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- – सावन के महीने में धार्मिक क्रियाओं और भक्ति में मन लगाना चाहता है, लेकिन कई विघ्न और बाधाएं आती हैं।
- – गंगा और जमुना में स्नान करने की इच्छा होती है, परंतु रास्ते में भी परेशानियाँ आती हैं।
- – दर्शन करने, माला जपने, दान देने और धर्म कर्म करने की इच्छा के बावजूद रिश्तेदारों और परिवार की जिम्मेदारियाँ विघ्न उत्पन्न करती हैं।
- – कथा सुनने और गीता पढ़ने की कोशिश में भी नींद और अन्य विघ्न बाधा डालते हैं।
- – जीवन में भले ही भक्ति और धार्मिकता की इच्छा हो, पर विघ्न हजारों बार आते रहते हैं।
- – यह कविता सावन के माह की भक्ति और उसमें आने वाली बाधाओं का मार्मिक चित्रण प्रस्तुत करती है।

तीन बार भोजन,
भजन इक बार,
उसमे भी आते है,
विघन हजार।।
तर्ज – सावन का महीना।
मन करता है मैं,
गंगा नहाऊँ,
गंगा नहाऊँ,
में जमुना नहाऊँ,
गंगा जाते जाते मुझको,
आ गया बुखार,
उसमे भी आते है,
विघन हजार।।
मन करता है मैं,
दर्शन को जाऊँ,
दर्शन को जाऊँ मैं,
माला जप आऊँ,
माला जपते जपते देखो,
आ गए रिश्तेदार,
उसमे भी आते है,
विघन हजार।।
मन करता है मैं,
दान कर आऊँ,
दान कर आऊँ मैं,
धरम कर आऊँ,
बड़ा है परिवार,
देता ना कोई उधार,
उसमे भी आते है,
विघन हजार।।
मन करता है मैं,
कथा सुन आऊँ,
कथा सुन आऊँ में,
गीता पढ़ आऊँ,
गीता पढ़ते पढ़ते,
नींद आ गई कई बार,
उसमे भी आते है,
विघन हजार।।
तीन बार भोजन,
भजन इक बार,
उसमे भी आते है,
विघन हजार।।
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
