- – यह भक्ति गीत श्री राधा के चरणों में जीवन समर्पित करने की प्रार्थना है।
- – गीत में पापी होने के बावजूद श्री राधा की कृपा और अपनत्व की मांग की गई है।
- – जीवन के हर पल में श्री राधा की छवि और नाम की उपासना करने की इच्छा व्यक्त की गई है।
- – जनम-जनम की प्यास और बार-बार श्री राधा से मिलने की आस प्रकट की गई है।
- – गीत में प्रेम, भक्ति और समर्पण की भावना प्रमुख रूप से झलकती है।
- – स्वर श्री चित्र विचित्र जी महाराज का है और प्रेषक शिवकुमार शर्मा हैं।

तेरे चरणों में हो जीवन की श्याम,
किशोरी ये ही मांग मेरी,
पाऊं श्री चरणों में विश्राम,
किशोरी ये ही मांग मेरी।।
श्री राधा, श्री राधा, श्री राधा, राधा,
श्री राधा, श्री राधा, श्री राधा, राधा।
गुण अवगुण पर ध्यान ना देना,
मुझ पापी को अपना लेना,
गुण अवगुण पर ध्यान ना देना,
मुझ पापी को अपना लेना,
मेरी बहिया श्यामा लेना थाम,
किशोरी ये ही मांग मेरी,
तेरे चरणो मे हो जीवन की श्याम,
किशोरी ये ही मांग मेरी।।
जीवन की संध्या बेला हो प्यारी,
नैनन में हो छवि तुम्हारी,
जीवन की संध्या बेला हो प्यारी,
नैनन में हो छवि तुम्हारी,
मेरे मुख में हो किशोरी तेरो नाम,
किशोरी ये ही मांग मेरी,
तेरे चरणो मे हो जीवन की श्याम,
किशोरी ये ही मांग मेरी।।
जनम जनम की प्यास यही है,
‘चित्र विचत्र’ की आस यही है,
जनम जनम की प्यास यही है,
‘चित्र विचत्र’ की आस यही है,
प्यारी मिल जाए बरसानो धाम,
किशोरी ये ही मांग मेरी,
तेरे चरणो मे हो जीवन की श्याम,
किशोरी ये ही मांग मेरी।।
तेरे चरणों में हो जीवन की श्याम,
किशोरी ये ही मांग मेरी,
पाऊं श्री चरणों में विश्राम,
किशोरी ये ही मांग मेरी।।
श्री राधा, श्री राधा, श्री राधा, राधा,
श्री राधा, श्री राधा, श्री राधा, राधा।
स्वर – श्री चित्र विचित्र जी महाराज।
प्रेषक – शिवकुमार शर्मा
9926347650
