- – यह गीत “तेरे दरबार की चाकरी” भक्ति और समर्पण की भावना को दर्शाता है, जिसमें भगवान की सेवा को सबसे श्रेष्ठ और सच्ची नौकरी बताया गया है।
- – गीत में भगवान के प्रति गहरा प्रेम और विश्वास प्रकट होता है, जो जीवन में सुख, शांति और आश्रय प्रदान करते हैं।
- – भक्ति को तनख्वाह से ऊपर रखा गया है, जहाँ सेवा करना और भगवान का सेवक कहलाना सबसे बड़ी खुशी और तमन्ना है।
- – गीत में भक्तों का भगवान के दरबार में आना और शरण लेना एक महत्वपूर्ण विषय है, जो आध्यात्मिक सुरक्षा और आश्रय का प्रतीक है।
- – यह गीत जीवन की कठिनाइयों में भगवान की कृपा और सहारा पाने की भावना को उजागर करता है।

तेरे दरबार की चाकरी,
सबसे बढ़िया है सबसे खरी,
सबसे बढ़िया है सबसे खरी,
तेरे दरबार की चाकरीं,
सबसे बढ़िया है सबसे खरी।।
तर्ज – ज़िन्दगी की ना टूटे लड़ी।
जबसे पाई तेरी चाकरी,
दुनिया बदली सांवरिया मेरी,
तुझसा मालिक जहां में नहीं,
जिसको इतनी फिकर हो मेरी,
ऐसी दूजी नहीं,
ऐसी दूजी नहीं नौकरी,
ऐसी दूजी नहीं नौकरी,
सबसे बढ़िया है सबसे खरी,
तेरे दरबार की चाकरीं,
सबसे बढ़िया है सबसे खरी।।
मेरी तनख्वाह भी कूछ कम नही,
कूछ मिले ना मिले ग़म नही,
तेरी सेवा बजाता रहूं,
तेरा सेवक कहाता रहूं,
श्याम ये ही तमन्ना मेरी,
सबसे बढ़िया है सबसे खरी,
तेरे दरबार की चाकरीं,
सबसे बढ़िया है सबसे खरी।।
एक तेरा सहारा हमें,
एक तेरा ही है आसरा,
तेरी किरपा से जीते है हम,
मेरे मालिक मेरे सांवरा,
भक्त आए है,
भक्त आए शरण मे तेरी,
भक्त आए शरण मे तेरी,
सबसे बढ़िया है सबसे खरी,
तेरे दरबार की चाकरीं,
सबसे बढ़िया है सबसे खरी।।
तेरे दरबार की चाकरी,
सबसे बढ़िया है सबसे खरी,
सबसे बढ़िया है सबसे खरी,
तेरे दरबार की चाकरीं,
सबसे बढ़िया है सबसे खरी।।
Singer : Mukesh Bagda
