- – यह गीत माँ की दयालुता और दानशीलता की महिमा का वर्णन करता है।
- – माँ के दरबार की महिमा को निराली और अद्भुत बताया गया है।
- – गीत में माँ के चेहरे से निकलने वाले नूर और उनकी रहमत की बात की गई है।
- – माँ के चरणों में बैठना भाग्यशाली माना गया है और उनके नाम का उच्चारण दिल को मचलने वाला बताया गया है।
- – गीत में माँ के प्रति गहरा प्रेम और उनसे दूर न रहने की तमन्ना व्यक्त की गई है।
- – माँ को झंडे वाली और दाती के रूप में सम्मानित किया गया है, जो उनकी शक्ति और करुणा को दर्शाता है।
तेरे दरबार की महिमा,
बड़ी निराली है,
तू तो दाती है दयालु है,
झंडे वाली है,
तेरे दरबार की महिमा,
बड़ी निराली है।।
तर्ज – तेरी गलियों का हूँ आशिक़।
तेरे चेहरे से दाती,
नूर नूर बरसे है,
रहमते तू लुटाती खूब,
तेरे दर से है,
तेरे होते रहेगी कैसे,
झोली खाली है,
तू तो दाती है दयालु है,
झंडे वाली है,
तेरें दरबार की महिमा,
बड़ी निराली है।।
तेरे दीदार को कई बार,
दिल मचलता है,
तेरा ही नाम जुबां से,
माँ निकलता है,
बैठे चरणों में तेरे आकर,
वो भाग्यशाली है,
तू तो दाती है दयालु है,
झंडे वाली है,
तेरें दरबार की महिमा,
बड़ी निराली है।।
ये तमन्ना है तुझसे दूर,
ना रहूं मैया,
तू भी जाने है तुझसे और,
कहूँ मैया,
‘लहरी’ नैनो में तेरी झांकी,
माँ सजा ली है,
तू तो दाती है दयालु है,
झंडे वाली है,
तेरें दरबार की महिमा,
बड़ी निराली है।।
तेरे दरबार की महिमा,
बड़ी निराली है,
तू तो दाती है दयालु है,
झंडे वाली है,
तेरे दरबार की महिमा,
बड़ी निराली है।।
Singer : Uma Lahri