- – यह भजन भोलेनाथ (शिव जी) के प्रति श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करता है, जिसमें भक्त अपने दरबार में बड़ी आशा लेकर आता है।
- – भजन में भक्त अपनी दया और दान की प्रार्थना करता है, साथ ही पतितों को न भूलने की विनती करता है।
- – भक्त अपने तन-मन को भोलेनाथ के चरणों में अर्पित करने की इच्छा प्रकट करता है और उनके दर्शन से मन को शांति मिलती है।
- – सेवा और भक्ति के माध्यम से भोलेनाथ की कृपा पाने की प्रार्थना की गई है, जो भक्त को दुनिया के कष्टों से मुक्ति दिलाए।
- – भजन में भोलेनाथ को दयालु और वरदान देने वाला बताया गया है, जो अपने भक्तों की हर समस्या का समाधान करते हैं।

तेरे दरबार में भोले,
बड़ी आशा से आया हूँ,
तेरे चरणों में भंडारी,
निवेदन करने आया हूँ,
निवेदन करने आया हूँ,
बड़ी आशा से आया हूँ,
बड़ी आशा से आया हूँ,
तेरे दरबार मे भोले,
बड़ी आशा से आया हूँ।।
तर्ज – दया कर दान भक्ति का।
पतित को भूल मत जाना,
की तुम पतितों के पावन हो,
मैं सेवक हूँ तेरा स्वामी,
तुम्ही बस मेरे भगवन हो,
तुम्ही बस मेरे भगवन हो,
इसी की याद मैं भोले,
दिलाने तुमको आया हूँ,
तेरे दरबार मे भोले,
बड़ी आशा से आया हूँ।।
तेरे दरबार में आकर,
ही मुझको चैन मिलता है,
तेरे दर्शन से ही शम्भू,
मेरा मन सुमन खिलता है,
मेरा मन सुमन खिलता है,
तेरे चरणों में तन मन को,
मैं अर्पण करने आया हूँ,
तेरे दरबार मे भोले,
बड़ी आशा से आया हूँ।।
मेरी सेवा से खुश हो जा,
हे औघड़दानी बाबा तू,
दया की भीख दे दे अब,
बड़ा वरदानी देवा तू,
करो ना देर शिव शंकर,
करो ना देर शिव शंकर,
मैं दुनिया का सताया हूँ,
तेरे दरबार मे भोले,
बड़ी आशा से आया हूँ।।
तेरे दरबार में भोले,
बड़ी आशा से आया हूँ,
तेरे चरणों में भंडारी,
निवेदन करने आया हूँ,
निवेदन करने आया हूँ,
बड़ी आशा से आया हूँ,
बड़ी आशा से आया हूँ,
तेरे दरबार मे भोले,
बड़ी आशा से आया हूँ।।
