- – भजन में माता रानी के दरबार में भक्तों की भीड़ का वर्णन किया गया है, जो कभी कम नहीं होती।
- – ऊँचे पहाड़ों और पथरीली राहों के बावजूद भक्त माता के दर्शन के लिए आते हैं।
- – भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए माता की दया और कृपा की आशा लेकर आते हैं।
- – भजन में माता रानी को भक्तों की आशाओं को पूरा करने वाली और दया करने वाली स्वरूप के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
- – लेखक स्वयं भी माता की शरण में आकर दया की प्रार्थना करता है।
- – यह भजन श्रद्धा और भक्ति की भावना को उजागर करता है और भक्तों की निरंतर आस्था को दर्शाता है।
तेरे डेरे से भीड़ नही हटती,
हजारो लोग आते है,
हजारो लोग आते है।।
तर्ज – तेरे चेहरे से नजर नही हटती।
ऊँचे पहाड़ो और,
पथरीली राहो मे,
रुकते नही चाहे,
पड़े छाले पाँवो मे,
तेरे दरश की,
प्यास नही घटती,
हजारो लोग आते है,
हजारो लोग आते है।।
दर पे जो आस लेकर,
तेरे भक्त आते है,
तेरी दया से मन की,
मुराद पाते है,
मइया भक्तो की,
आश पूरी करती,
हजारो लोग आते है,
हजारो लोग आते है।।
मै भी शरण तेरी,
आया माता रानी,
करदो दया माँ,
हे वैष्णोरानी,
तुम तो भक्तो की,
झोलियाँ भरती,
हजारो लोग आते है,
हजारो लोग आते है।।
तेरे डेरे से भीड़ नही हटती,
हजारो लोग आते है,
हजारो लोग आते है।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923
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