- – यह भजन श्री राधे और श्यामा के प्रति गहरी भक्ति और प्रेम को दर्शाता है।
- – भजन में भक्त अपनी पूरी समर्पणा व्यक्त करते हुए राधे के द्वार पर मरने और फूल बनने की इच्छा व्यक्त करता है।
- – श्यामा की कृपा और प्रेम पाने की प्रार्थना की गई है, जिससे भटकाव समाप्त हो और जीवन सही मार्ग पर चले।
- – भजन में राधे के चरणों की सेवा और उनके प्रेम में लीन होने की भावना प्रमुख है।
- – यह भजन भैरवी राग पर आधारित है और कुमुदकृष्ण शास्त्री जी द्वारा स्वरबद्ध किया गया है।

तेरे महलों की चौखट की,
मैं बन जाऊं धुल श्री राधे,
मरुँ तेरे द्वार पे श्यामा,
मरुँ तेरे द्वार पे श्यामा,
मैं बनकर फूल श्री राधे।bd।
तर्ज – मुझे तेरी मोहब्बत का।
(राग – भैरवी आधारित।)
कृपा जो हो तो ऐसी हो,
मेरी श्यामा के जैसी हो,
मैं देखूं या नहीं देखूं,
मुझे ही देखती है वो,
बुला लो पास में अपने,
खड़ा हूं द्वार पे लाडो,
मरुँ तेरे द्वार पे श्यामा,
मैं बनकर फूल श्री राधे।bd।
मरुँ चौखट पे मैं श्यामा,
यही अर्जी हमारी हो,
भटकना बंद हो मेरा,
यही मर्जी तुम्हारी हो,
तेरी कृपा की मैं श्यामा,
ही बन जाऊं भूल श्री राधे,
मरुँ तेरे द्वार पे श्यामा,
मैं बनकर फूल श्री राधे।bd।
करो जब रास कुंजन में,
मुझे सेवा ये मिलने जाए,
मैं कुछ ला जाऊं चरणों से,
यही मेवा ही मिल जाए,
तेरे चरणों की लाली से,
सजा लूं मांग श्री राधे,
मरुँ तेरे द्वार पे श्यामा,
मैं बनकर फूल श्री राधे।bd।
खिलौना हूँ तेरा श्यामा,
तू जैसा भी बजा लेना,
पड़ा हूँ द्वार पे तेरे,
करो किरपा उठा लेना,
मैं ललिता और विशाखा के,
पड़ा चरणों में श्री राधे,
Bhajan Diary Lyrics,
मरुँ तेरे द्वार पे श्यामा,
मैं बनकर फूल श्री राधे।bd।
तेरे महलों की चौखट की,
मैं बन जाऊं धुल श्री राधे,
मरुँ तेरे द्वार पे श्यामा,
मरुँ तेरे द्वार पे श्यामा,
मैं बनकर फूल श्री राधे।bd।
स्वर – कुमुदकृष्ण शास्त्री जी।
