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तेरे सीने में बसे रघुराई बजरंगी तेरा क्या कहना लिरिक्स – Tere Seene Mein Base Raghurai Bajrangi Tera Kya Kehna Lyrics – Hinduism FAQ

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  • – यह गीत भगवान हनुमान की भक्ति और उनके अद्भुत कार्यों का वर्णन करता है, जैसे कि उन्होंने सोने की लंका जलाई और लक्ष्मण को बाण से घायल होने पर संजीवनी लाकर जीवनदान दिया।
  • – हनुमान जी की भक्ति और सेवा को अत्यंत महान बताया गया है, जो प्रभु राम के प्रति समर्पित थे और उनकी भक्ति निभाई।
  • – अशोक वाटिका जाकर सीता माता से मिलने और राम जी की अंगूठी लेकर उन्हें पहुंचाने का उल्लेख है, जो हनुमान की निष्ठा और साहस को दर्शाता है।
  • – लेखक ने हनुमान जी की पूजा और उनकी मूरत को अपने मन में बसाने की बात कही है, जिससे उनकी भक्ति की गहराई प्रकट होती है।
  • – बार-बार “तेरे सीने में बसे रघुराई, बजरंगी तेरा क्या कहना” का दोहराव हनुमान जी में राम का वास होने और उनकी महिमा को उजागर करता है।

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तेरे सीने में बसे रघुराई,

तर्ज – तुझे याद ना मेरी आई।

दोहा – बजरंगी मेरे भक्त तेरे,
दर पे जो भी आए,
तेरी कृपा से देवा,
वो तो एक दिन,
भव से भी तर जाए वो तार जाए।



तेरे सीने में बसे रघुराई,

बजरंगी तेरा क्या कहना,
तूने सोने की लंका जलाई,
तूने सोने की लंका जलाई,
बजरंगी तेरा क्या कहना,
अग्नि हनुमत धारा बुझाई,
ओ देवा तेरा क्या कहना,
तूने सोने की लंका जलाई,
तूने सोने की लंका जलाई,
बजरंगी तेरा क्या कहना,
तेरे सिने में बसे रघुराई,
बजरंगी तेरा क्या कहना।।



बाण लगा लक्ष्मण को,

संजीवनी तुम लाए,
सेवा से अपनी हनुमत,
रामा को तुम रिझाए,
प्रभु भक्ति तुमने निभाई,
प्रभु भक्ति तुमने निभाई,
बजरंगी तेरा क्या कहना,
तेरे सिने में बसे रघुराई,
बजरंगी तेरा क्या कहना।।

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अशोक वाटिका जाकर,

सीता जी से मिल आए,
राम जी की अंगूठी लेके,
सिया माँ तक पहुंचाए,
सिया माँ की दया तूने पाई,
बजरंगी तेरा क्या कहना,
तेरे सिने में बसे रघुराई,
बजरंगी तेरा क्या कहना।।



मैंने तुझे है पूजा,

भाये ना कोई दुजा,
सारे धाम घूम हम आये
हनुमान धारा मन भाये,
तेरी मूरत मन में बसाई,
बजरंगी तेरा क्या कहना,
तेरे सिने में बसे रघुराई,
बजरंगी तेरा क्या कहना।।



तेरे सीने में बसे रघुराई,

बजरंगी तेरा क्या कहना,
तूने सोने की लंका जलाई,
तूने सोने की लंका जलाई,
बजरंगी तेरा क्या कहना,
अग्नि हनुमत धारा बुझाई,
ओ देवा तेरा क्या कहना,
तूने सोने की लंका जलाई,
तूने सोने की लंका जलाई,
बजरंगी तेरा क्या कहना,
तेरे सिने में बसे रघुराई,
बजरंगी तेरा क्या कहना।।

प्रेषक – रघुराज पांडे।


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