- – यह कविता “तेरी भोली सी सूरत सांवरिया” प्रेम और भक्ति की भावना को दर्शाती है, जिसमें सांवरिया (कृष्ण) की सादगी और सुंदरता का वर्णन है।
- – कवि अपने दिल में सांवरिया की छवि को बसा हुआ महसूस करता है और उसकी यादें उसे बार-बार सताती हैं।
- – कविता में कृष्ण के साथ पुराने रिश्ते और उनकी यादों को पुनः जीवित करने की इच्छा प्रकट होती है।
- – गोपियों के साथ रासलीला और कदम्ब की छाया जैसी प्राकृतिक सुंदरता का उल्लेख प्रेम की गहराई को दर्शाता है।
- – कवि की आँखें और मन कृष्ण की याद में तड़पते हैं, जो उसकी भक्ति और प्रेम की गहराई को दर्शाता है।
- – समग्र रूप से यह कविता कृष्ण भक्ति और प्रेम की मधुर अनुभूति प्रस्तुत करती है।

तेरी भोली सी सूरत साँवरिया,
मेरे दिल में बसी जा रही है,
अब तो पहले से भी तेरी ज्यादा,
ना जाने क्यों याद आ रही है,
तेरी भोली सी सूरत सांवरिया,
मेरे दिल में बसी जा रही है।।
तर्ज – मेरे बांके बिहारी सांवरिया।
मिल भी जाओ ये रिश्ता पुराना,
कहां मिलोगे बता दो ठिकाना,
तुम को भूले पड़े हम कन्हैया,
अब जगह भी समझ आ रही है,
तेरी भोली सी सूरत सांवरिया,
मेरे दिल में बसी जा रही है।।
उन गोपियों से हमको मिला दो,
रास करते कहा वो बता दो,
प्यारी प्यारी कदम्ब की छैंया,
मेरे मन को तड़पा रही है,
तेरी भोली सी सूरत सांवरिया,
मेरे दिल में बसी जा रही है।।
तेरी घुंघराली अलकों में उलझी,
मेरे प्यासी ये दोनों आँखे,
कौन जाने मेरे इस मन की,
याद आदत बनी जा रही है,
तेरी भोली सी सूरत सांवरिया,
मेरे दिल में बसी जा रही है।।
तेरी भोली सी सूरत साँवरिया,
मेरे दिल में बसी जा रही है,
अब तो पहले से भी तेरी ज्यादा,
ना जाने क्यों याद आ रही है,
तेरी भोली सी सूरत सांवरिया,
मेरे दिल में बसी जा रही है।।
