- – यह गीत “तेरी मेहर का क्या है भरोसा” भक्ति और ईश्वर की कृपा पर आधारित है, जिसमें ईश्वर की अनिश्चित कृपा पर विश्वास जताया गया है।
- – गीत में बताया गया है कि ईश्वर की मेहर से ही पापी भी उद्धार पा सकते हैं, जैसे गिद्ध, अजामिल, और गणिका।
- – ध्रुव, प्रह्लाद, और मीरा जैसे भक्तों के उदाहरण देकर ईश्वर की कृपा और भक्ति की महत्ता को दर्शाया गया है।
- – गीत में ईश्वर के चरणों की सेवा और भक्ति के माध्यम से कल्याण की कामना की गई है, साथ ही दिल के दर्द और पीड़ा को समझने की प्रार्थना की गई है।
- – जन्मों के साथ-साथ ईश्वर की माफी और कृपा की आशा व्यक्त की गई है, और अपने मनमोहन से स्नेहपूर्ण संवाद की इच्छा जताई गई है।
- – समग्र रूप से यह गीत ईश्वर की अनिश्चित कृपा पर भरोसा रखने और भक्ति के माध्यम से उद्धार की आशा प्रकट करता है।

तेरी मेहर का क्या है भरोसा,
कब किस पर ये हो जाए,
इसी आस में हम भी बैठे,
इसी आस में हम भी बैठे,
शायद हम पर हो जाए,
तेरी मेहर का क्या हैं भरोसा,
कब किस पर ये हो जाए।।
जिस पर तेरी मेहर हो गई,
वो भव सागर पार हुआ,
चाहे जितने पाप किए हो,
उसका तो उद्धार हुआ,
गिद्ध अजामिल गणिका जैसे,
गिद्ध अजामिल गणिका जैसे,
तेरी मेहर से तर पाए,
तेरी मेहर का क्या हैं भरोसा,
कब किस पर ये हो जाए।।
ध्रुव प्रह्लाद पे कृपा हुई तो,
नित तेरा गुणगान किया,
चाहे जितनी आफत आई,
फिर भी तेरा नाम लिया,
मीरा हो गई श्याम दीवानी,
मीरा हो गई श्याम दीवानी,
श्याम श्याम ही मन भाए,
तेरी मेहर का क्या हैं भरोसा,
कब किस पर ये हो जाए।।
श्री चरणों की सेवा देकर,
हे मालिक कल्याण करो,
सुना सुना दिल का आँगन,
आकर दिल में वास करो,
सुने दिल के दर्द को समझो,
सुने दिल के दर्द को समझो,
काहे इतना तरसाए,
तेरी मेहर का क्या हैं भरोसा,
कब किस पर ये हो जाए।।
जन्मों का है साथ हमारा,
बहुत हुआ अब माफ़ करो,
करके एक नजर मनमोहन,
अपनों से कुछ बात करो,
‘नंदू’ कबतक मेहर ना होंगी,
‘नंदू’ कबतक मेहर ना होंगी,
देखे कब तक ठुकराए,
तेरी मेहर का क्या हैं भरोसा,
कब किस पर ये हो जाए।।
तेरी मेहर का क्या है भरोसा,
कब किस पर ये हो जाए,
इसी आस में हम भी बैठे,
इसी आस में हम भी बैठे,
शायद हम पर हो जाए,
तेरी मेहर का क्या हैं भरोसा,
कब किस पर ये हो जाए।।
स्वर – कुमार विशु जी।
