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- – कविता में ईश्वर की पनाह और संरक्षण की प्रार्थना की गई है।
- – नेक रास्ते पर चलने और बुरे कर्मों से बचने की सीख दी गई है।
- – चोरी, कपट, बेईमानी और हिंसा से दूर रहने की इच्छा व्यक्त की गई है।
- – खुद को निर्मल और पवित्र बनाए रखने की प्रेरणा दी गई है।
- – क्षमा और करुणा की महत्ता को उजागर किया गया है।
- – पापों से मुक्त होकर पुण्य की ओर बढ़ने का संकल्प व्यक्त किया गया है।
तेरी पनाह में हमे रखना,
सीखे हम नेक राह पर चलना।।
कपट कर्म चोरी बेईमानी,
और हिंसा से हमको बचाना,
नाली का बन जाऊं ना पानी,
निर्मल गंगा-जल ही बनाना,
अपनी निगाह में हमे रखना,
तेरी पनाह में हमे रखना।।
क्षमावान कोई तुझसा नही और,
मुझसा नही कोई अपराधी,
पूण्य की नगरी में भी मैंने,
पापों की गठरी ही बाँधी,
करुणा की छाँव में हमे रखना,
तेरी पनाह में हमे रखना।।
तेरी पनाह में हमे रखना,
सीखे हम नेक राह पर चलना।।
https://www.youtube.com/watch?v=lpTZJ8-Ac1o
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
