- – यह कविता कन्हैया (कृष्ण) की याद में गहरे प्रेम और विरह की भावना व्यक्त करती है।
- – कवि अपने प्रिय कन्हैया की यादों में खोया रहता है और उनकी कमी से अत्यंत दुखी है।
- – गोकुल, वृन्दावन और मथुरा की गलियों में कन्हैया की तलाश करता है, लेकिन कहीं भी उनकी कोई खबर नहीं मिलती।
- – कवि की तड़प और पीड़ा इतनी गहरी है कि उसकी आँखों से अश्रु लगातार बहते रहते हैं।
- – यह कविता प्रेम और विरह की वेदना को भावपूर्ण शब्दों में प्रस्तुत करती है, जो सुनने वाले के मन को छू जाती है।

क्या बतलाऊँ कितना मुझे सताती है,
तेरी याद कन्हैया बड़ा रुलाती है,
हर लम्हा आकर मुझको तड़पाती है,
तेरी याद कन्हैया बड़ा रुलाती हैं।।
देखे – कन्हैया हर घडी मुझको।
तेरी यादों में ही खोया रहता हूँ,
बिन तेरे मोहन मैं रोता रहता हूँ,
बैठ के तन्हाई में मोहन केवल,
तेरे बारे में ही सोचता रहता हूँ,
सोचते सोचते आँख मेरी भर आती है,
तेरी याद कन्हैया बड़ा रुलाती हैं।।
गोकुल वृन्दावन में भी मैं घूम लिया,
मथुरा की गलियों में तुझको ढूंढ लिया,
तेरी कोई खबर कहीं ना मिल पाई,
हर आने जाने वाले से पूछ लिया,
तेरी तलाश मुझे दर दर भटकाती है,
तेरी याद कन्हैया बड़ा रुलाती हैं।।
ढूंढते ढूंढते तुझको नैन मेरे हारे,
एक दफा खुद आकर मिल जाओ प्यारे,
‘शर्मा’ तेरी प्रीत में मोहन पागल है,
नैनो से अश्क़ों के बहते है धारे,
मेरे तन से जान निकल कर जाती है,
तेरी याद कन्हैया बड़ा रुलाती हैं।।
क्या बतलाऊँ कितना मुझे सताती है,
तेरी याद कन्हैया बड़ा रुलाती है,
हर लम्हा आकर मुझको तड़पाती है,
तेरी याद कन्हैया बड़ा रुलाती हैं।।
Singer – Sanjay Deep
