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- – यह गीत कोरोना महामारी के कारण थाकी यात्रा और धार्मिक आयोजनों के रुकने की व्यथा को दर्शाता है।
- – कोरोना के ताले ने लोगों के पारंपरिक उत्सव, भंडारे, भजन और झूमने-गाने के अवसरों को बंद कर दिया।
- – गीत में भक्तों की मन की बेचैनी और यात्रा के प्रति उनकी लालसा व्यक्त की गई है।
- – श्योजी प्रजापत ने इस गीत के माध्यम से महामारी के प्रभाव और भक्तों की आशा को प्रस्तुत किया है।
- – यह गीत कोरोना के कारण सामाजिक और धार्मिक जीवन में आई बाधाओं का मार्मिक चित्रण है।

थाकी यात्रा में कंईया आवा पाला,
कोरोना ने लगा दीया ताला।।
कंईया थाके मैले आवा,
थाका दरस बिन रह नहीं पावा,
सावण में झुर झुर रोवे जी थाका बाला,
कोरोना ने लगा दीया ताला।।
हाथ धजा जैकारा लगाता,
डीजे उपर ठुमका लगाता,
घर बैठ्या भगत मतवाला,
कोरोना ने लगा दीया ताला।।
भण्डारा म जीमण जीमता,
भजना में थारा आनन्द पाता,
छाना बैठ्या छ दान करबाला,
कोरोना ने लगा दीया ताला।।
मन करें में ऊडकर आऊ,
थाका चरणा में ढोक लगाऊ,
कूद आऊ रे नदी नाला,
कोरोना ने लगा दीया ताला।।
श्योजी प्रजापत अरज गुजारी,
मेट श्री जी या महामारी,
भक्ता न थोड़ी आस बन्धा रे मोत्याला,
कोरोना ने लगा दीया ताला।।
थाकी यात्रा में कंईया आवा पाला,
कोरोना ने लगा दीया ताला।।
गायक – श्योजी प्रजापत टोंक।
प्रेषक – रमेश प्रजापत टोंक।
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
