- – यह गीत भगवान कृष्ण (श्याम रंगीला) की भक्ति और उनकी मधुर छवि का वर्णन करता है।
- – गीत में कृष्ण की मुस्कान, उनकी आँखों की चमक और उनकी मनमोहक अदाओं की प्रशंसा की गई है।
- – भक्त कृष्ण से मिलने की इच्छा और उनके साथ रहने की लालसा व्यक्त की गई है।
- – गीत में कृष्ण के विभिन्न रूपों जैसे कान्हा, सांवरिया, गोपाल आदि का उल्लेख है।
- – यह गीत राजस्थान की लोकभाषा में लिखा गया है और इसमें पारंपरिक भावनाओं का सुंदर समावेश है।
- – गीत के स्वर संजू शर्मा जी ने दिए हैं और इसे विवेक अग्रवाल जी ने प्रस्तुत किया है।

थारी बांकी अदा पे वारूं प्राण,
ओ जी श्याम रंगीऴा,
मिलता रईज्यो जी,
थां की मारै छै मीठी मुस्काण़,
थां रा नैण रसीऴा,
खिलता रईज्यो जी।।
तर्ज – थाण़ै रस्तै मं होसी गणगौर।
मन का थे मनमौजी कान्हा,
मनगरा जी राज,
कोई दिन तो आवो थे,
म्हां रै घरां जी राज,
म्हां की छोटी सी अरजी नै ल्यो माण़,
म्हां रा छैऴ छबीळा, मिलता रईज्यो जी।।
पड़दो थां रै स्यूं कांईं,
राखणों जी राज,
थां रै स्यूं ई तो सांचो,
भाखणों जी राज,
थां को रसना स्यूं करां के बखाण़,
थां रा नैण रसीऴा, मिलता रईज्यो जी।।
आंधा री थे ई कान्हा,
लाकड़ी जी राज,
म्हां पै सांवरिया थां री,
ठाकरी जी राज,
थां को नित की करां छां गुणगान,
म्हां रा श्याम सजीऴा, मिलता रईज्यो जी।।
श्याम बहादुर सांचा,
सांवरा जी राज,
नैणां सुरंगा म्हां रै,
राव रा जी राज,
थे ई “शिव” रा तो सांचा जिजमाण़,
गोपाळ हठीऴा, मिलता रईज्यो जी।।
थारी बांकी अदा पे वारूं प्राण,
ओ जी श्याम रंगीऴा,
मिलता रईज्यो जी,
थां की मारै छै मीठी मुस्काण़,
थां रा नैण रसीऴा,
खिलता रईज्यो जी।।
स्वर – संजू शर्मा जी।
प्रेषक – विवेक अग्रवाल जी।
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