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॥ श्रीतुलसी अष्टोत्तरशतनामावली ॥

ॐ श्री तुलस्यै नमः ।
ॐ नन्दिन्यै नमः ।
ॐ देव्यै नमः ।
ॐ शिखिन्यै नमः ।
ॐ धारिण्यै नमः ।
ॐ धात्र्यै नमः ।
ॐ सावित्र्यै नमः ।
ॐ सत्यसन्धायै नमः ।
ॐ कालहारिण्यै नमः ।
ॐ गौर्यै नमः॥ १० ॥

ॐ देवगीतायै नमः ।
ॐ द्रवीयस्यै नमः ।
ॐ पद्मिन्यै नमः ।
ॐ सीतायै नमः ।
ॐ रुक्मिण्यै नमः ।
ॐ प्रियभूषणायै नमः ।
ॐ श्रेयस्यै नमः ।
ॐ श्रीमत्यै नमः ।
ॐ मान्यायै नमः ।
ॐ गौर्यै नमः ॥ २० ॥

ॐ गौतमार्चितायै नमः ।
ॐ त्रेतायै नमः ।
ॐ त्रिपथगायै नमः ।
ॐ त्रिपादायै नमः ।
ॐ त्रैमूर्त्यै नमः ।
ॐ जगत्रयायै नमः ।
ॐ त्रासिन्यै नमः ।
ॐ गात्रायै नमः ।
ॐ गात्रियायै नमः ।
ॐ गर्भवारिण्यै नमः ॥ ३० ॥

ॐ शोभनायै नमः ।
ॐ समायै नमः ।
ॐ द्विरदायै नमः ।
ॐ आराद्यै नमः ।
ॐ यज्ञविद्यायै नमः ।
ॐ महाविद्यायै नमः ।
ॐ गुह्यविद्यायै नमः ।
ॐ कामाक्ष्यै नमः ।
ॐ कुलायै नमः ।
ॐ श्रीयै नमः ॥ ४० ॥

ॐ भूम्यै नमः ।
ॐ भवित्र्यै नमः ।
ॐ सावित्र्यै नमः ।
ॐ सरवेदविदाम्वरायै नमः ।
ॐ शंखिन्यै नमः ।
ॐ चक्रिण्यै नमः ।
ॐ चारिण्यै नमः ।
ॐ चपलेक्षणायै नमः ।
ॐ पीताम्बरायै नमः ।
ॐ प्रोत सोमायै नमः ॥ ५० ॥

ॐ सौरसायै नमः ।
ॐ अक्षिण्यै नमः ।
ॐ अम्बायै नमः ।
ॐ सरस्वत्यै नमः ।
ॐ संश्रयायै नमः ।
ॐ सर्व देवत्यै नमः ।
ॐ विश्वाश्रयायै नमः ।
ॐ सुगन्धिन्यै नमः ।
ॐ सुवासनायै नमः ।
ॐ वरदायै नमः ॥ ६० ॥

ॐ सुश्रोण्यै नमः ।
ॐ चन्द्रभागायै नमः ।
ॐ यमुनाप्रियायै नमः ।
ॐ कावेर्यै नमः ।
ॐ मणिकर्णिकायै नमः ।
ॐ अर्चिन्यै नमः ।
ॐ स्थायिन्यै नमः ।
ॐ दानप्रदायै नमः ।
ॐ धनवत्यै नमः ।
ॐ सोच्यमानसायै नमः ॥ ७० ॥

ॐ शुचिन्यै नमः ।
ॐ श्रेयस्यै नमः ।
ॐ प्रीतिचिन्तेक्षण्यै नमः ।
ॐ विभूत्यै नमः ।
ॐ आकृत्यै नमः ।
ॐ आविर्भूत्यै नमः ।
ॐ प्रभाविन्यै नमः ।
ॐ गन्धिन्यै नमः ।
ॐ स्वर्गिन्यै नमः ।
ॐ गदायै नमः ॥ ८० ॥

ॐ वेद्यायै नमः ।
ॐ प्रभायै नमः ।
ॐ सारस्यै नमः ।
ॐ सरसिवासायै नमः ।
ॐ सरस्वत्यै नमः ।
ॐ शरावत्यै नमः ।
ॐ रसिन्यै नमः ।
ॐ काळिन्यै नमः ।
ॐ श्रेयोवत्यै नमः ।
ॐ यामायै नमः ॥ ९० ॥

ॐ ब्रह्मप्रियायै नमः ।
ॐ श्यामसुन्दरायै नमः ।
ॐ रत्नरूपिण्यै नमः ।
ॐ शमनिधिन्यै नमः ।
ॐ शतानन्दायै नमः ।
ॐ शतद्युतये नमः ।
ॐ शितिकण्ठायै नमः ।
ॐ प्रयायै नमः ।
ॐ धात्र्यै नमः ।
ॐ श्री वृन्दावन्यै नमः ॥ १०० ॥

ॐ कृष्णायै नमः ।
ॐ भक्तवत्सलायै नमः ।
ॐ गोपिकाक्रीडायै नमः ।
ॐ हरायै नमः ।
ॐ अमृतरूपिण्यै नमः ।
ॐ भूम्यै नमः ।
ॐ श्री कृष्णकान्तायै नमः ।
ॐ श्री तुलस्यै नमः ॥

माँ तुलसी अष्टोत्तर-शतनाम-नामावली

श्री तुलसी अष्टोत्तरशतनामावली भगवान विष्णु की प्रिय तुलसी माता के 108 पवित्र नामों की एक माला है, जो विशेष रूप से भक्तों द्वारा तुलसी माता के गुणों और महिमा का स्मरण करते हुए जप की जाती है। यह नामावली श्री तुलसी माता की महिमा, शक्ति, और उनके विविध रूपों का वर्णन करती है। प्रत्येक नाम के साथ “ॐ” और “नमः” का उच्चारण किया जाता है, जो संस्कृत में आदर सूचक शब्द हैं। “ॐ” सार्वभौमिक ध्वनि है और “नमः” का अर्थ होता है “नमस्कार करना” या “प्रणाम करना।”

यहां पर दिए गए प्रत्येक नाम का संक्षिप्त वर्णन:

  1. श्री तुलस्यै नमः: तुलसी माता को नमस्कार।
  2. नन्दिन्यै नमः: तुलसी माता जो आनंद का कारण बनती हैं।
  3. देव्यै नमः: दिव्य और पूज्य माता तुलसी।
  4. शिखिन्यै नमः: तुलसी माता जो शिखर पर स्थित हैं।
  5. धारिण्यै नमः: धरती को धारण करने वाली तुलसी माता।
  6. धात्र्यै नमः: पालन करने वाली तुलसी माता।
  7. सावित्र्यै नमः: सूर्यमंडल की देवी तुलसी।
  8. सत्यसन्धायै नमः: सत्य की रक्षा करने वाली तुलसी माता।
  9. कालहारिण्यै नमः: समय के दुष्प्रभावों को हरने वाली तुलसी माता।
  10. गौर्यै नमः: गौरव और प्रकाश देने वाली तुलसी माता।

और इसी प्रकार, तुलसी माता के अन्य 98 नाम भी हैं जो उनके विभिन्न गुणों, रूपों और शक्तियों का वर्णन करते हैं। इनमें कुछ नाम जैसे:

  • त्रिपथगायै नमः: तीन पथों पर चलने वाली।
  • जगत्रयायै नमः: तीनों लोकों की देवी।
  • महाविद्यायै नमः: महान ज्ञान की देवी।
  • कुलायै नमः: सम्पूर्ण कुल की रक्षा करने वाली।
  • पीताम्बरायै नमः: पीत वस्त्र धारण करने वाली।
  • सर्व देवत्यै नमः: सभी देवताओं की देवी।
  • वरदायै नमः: वरदान देने वाली।

यह नामावली तुलसी माता के प्रति श्रद्धा और समर्पण व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। इसे पढ़ने और जपने से जीवन में शांति, समृद्धि और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। तुलसी माता की पूजा हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है, और यह नामावली उनकी महिमा को समझने और स्मरण करने में सहायक होती है।

माँ तुलसी अष्टोत्तर-शतनाम-नामावली

श्री तुलसी अष्टोत्तरशतनामावली हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है, खासकर उन भक्तों के लिए जो भगवान विष्णु और उनकी परमभक्त तुलसी माता की उपासना करते हैं। इस नामावली के जप से न केवल आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है, बल्कि यह जीवन के कठिनाइयों को भी दूर करने में सहायक मानी जाती है।

तुलसी माता को हिंदू धर्म में अत्यंत पूजनीय माना गया है। उन्हें भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी का अवतार भी माना जाता है। तुलसी के पौधे को हिंदू घरों में बहुत श्रद्धा के साथ पूजा जाता है, और इसे पवित्रता, शुद्धता, और धर्म का प्रतीक माना जाता है। तुलसी माता के इन 108 नामों का जप करने से व्यक्ति के जीवन में पवित्रता, स्वास्थ्य, और समृद्धि आती है।

तुलसी माता की पूजा का महत्व:

  1. धार्मिक दृष्टिकोण: तुलसी माता की पूजा करने से भगवान विष्णु और लक्ष्मी दोनों की कृपा प्राप्त होती है। तुलसी के पौधे को जल चढ़ाने, पूजा करने और इसकी परिक्रमा करने से जीवन में सुख, समृद्धि, और मानसिक शांति मिलती है।
  2. स्वास्थ्य लाभ: तुलसी को आयुर्वेद में भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। तुलसी की पत्तियाँ और जड़ें औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं, जो शरीर को कई बीमारियों से बचाने में सहायक होती हैं। तुलसी के सेवन से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और यह सर्दी, खांसी, और बुखार जैसी समस्याओं में लाभकारी होती है।
  3. आध्यात्मिक लाभ: तुलसी माता के 108 नामों का जप करने से मन को शांति मिलती है, मानसिक तनाव कम होता है, और आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह नामावली व्यक्ति को भगवान विष्णु के चरणों में समर्पण करने और उनके प्रति भक्ति बढ़ाने में सहायक होती है।
  4. परिवार की समृद्धि: ऐसा माना जाता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा होता है और जहाँ नियमित रूप से तुलसी माता की पूजा होती है, वहाँ भगवान विष्णु और लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है, जिससे परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
  5. नकारात्मक ऊर्जा का नाश: तुलसी माता के नामों का जप करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। यह व्यक्ति के मन और वातावरण को शुद्ध करती है।

तुलसी अष्टोत्तरशतनामावली का नियमित पाठ व्यक्ति के जीवन में अध्यात्मिक उन्नति, मानसिक शांति, और भौतिक सुखों की प्राप्ति का साधन बन सकता है। यह नामावली विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो अपने जीवन में भगवान विष्णु और तुलसी माता की कृपा चाहते हैं और उनसे जुड़े रहना चाहते हैं।

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