- – यह कविता कलयुग में प्रभु के आगमन और उनके प्रति श्रद्धा को व्यक्त करती है।
- – पांडव कुल में प्रभु के शीश दान की महिमा का वर्णन है, जो कलयुग के देवता कहाए जाते हैं।
- – खाटू धाम में विराजमान बाबा के चमत्कारों और उद्धार के लिए उनकी भक्ति का उल्लेख किया गया है।
- – फागुन के महीने में भक्तों द्वारा प्रेम और भक्ति के रंग में रंगे जाने का वर्णन है।
- – ग्यारस के दिन बाबा की ज्योत जलाने, कीर्तन करने और ध्यान लगाने की परंपरा को महत्व दिया गया है।
- – कविता में परिवार और समाज के कल्याण के लिए प्रभु की चौखट पर आने की भावना को दोहराया गया है।

तुम आए हो कलयुग में,
संसार के लिए,
हम आए तेरी चौखट पे,
परिवार के लिए,
हम आए तेरी चौखट पे,
परिवार के लिए।।
तर्ज – दिल दीवाने का डोला।
पांडव कुल में प्रभु आए,
और भीम के पौत्र कहाए,
दिया शीश दान कृष्णा को,
कलयुग के देव कहाए,
है शीश दान पर शब्द नहीं,
है शीश दान पर शब्द नहीं,
आभार के लिए,
हम आए तेरी चौखट पे,
परिवार के लिए।।
ऐसे प्रभु श्याम है मेरे,
जो काटे जनम के फेरे,
हारे को जीत है देते,
ये सपने सच कर देते,
खाटू में विराजे बाबा,
खाटू में विराजे बाबा,
मेरे उद्धार के लिए,
हम आए तेरी चौखट पे,
परिवार के लिए।।
फागुण का महिना प्यारा,
लागे भक्तो को प्यारा,
यहाँ प्रेम रंग है न्यारा,
तेरा दरबार निराला,
आने का करते वादा,
आने का करते वादा,
हर बार के लिए,
हम आए तेरी चौखट पे,
परिवार के लिए।।
कलियुग में इनको पाना,
ग्यारस पे ज्योत जगाना,
कीर्तन करना बाबा का,
और इनका ध्यान लगाना,
जाने जाते कलयुग में,
जाने जाते कलयुग में,
चमत्कार के लिए,
हम आए तेरी चौखट पे,
परिवार के लिए।।
तुम आए हो कलयुग में,
संसार के लिए,
हम आए तेरी चौखट पे,
परिवार के लिए,
हम आए तेरी चौखट पे,
परिवार के लिए।।
गायक – द्वारिका मंत्री जी (देवास)
