- – यह कविता प्रभु के प्रति गहरी भक्ति और प्रेम की अभिव्यक्ति है, जिसमें भक्त अपने प्रभु से अनन्य संबंध की बात करता है।
- – कवि प्रभु से अपने अटूट और स्थायी प्रेम का विश्वास व्यक्त करता है कि प्रभु हमेशा उसके होंगे और वह प्रभु का ही रहेगा।
- – कविता में प्रभु से सहायता और स्नेह की प्रार्थना की गई है, विशेषकर कठिन समय में उनका साथ पाने की इच्छा व्यक्त की गई है।
- – भक्त ने अपने जीवन के समर्पण और प्रभु के प्रति पूर्ण निष्ठा की बात कही है, जो प्रेम और भक्ति की सच्ची भावना दर्शाती है।
- – यह रचना प्रेम, समर्पण और आध्यात्मिक जुड़ाव की भावना को सुंदरता से प्रस्तुत करती है, जो भक्त और प्रभु के बीच के अनमोल बंधन को दर्शाती है।

तुम हमारे थे प्रभु जी,
तुम हमारे हो,
तुम हमारे ही रहोगे,
ओ मेरे प्रियतम,
हम तुम्हारे थे प्रभु जी,
हम तुम्हारे है,
हम तुम्हारे ही रहोगे,
ओ मेरे प्रियतम।।
तुम्हे छोड़ सुन नंद दुलारे,
कोई ना मीत हमारो,
किसके द्वारे जाए पुकारू,
और ना कोई सहारो,
अब तो आ कर बाँह पकड़ लो,
ओ मेरे प्रियतम।
तुम हमारे थे प्रभू जी,
तुम हमारे हो,
तुम हमारे ही रहोगे,
ओ मेरे प्रियतम,
हम तुम्हारे थे प्रभु जी,
हम तुम्हारे है,
हम तुम्हारे ही रहोगे,
ओ मेरे प्रियतम।।
तेरे कारण सब जग छोड़ा,
तुम संग नाता जोड़ा,
एक बार प्रभु बस ये कह दो,
तू मेरा मै तेरा,
साँची प्रीत की रीत निभा दो,
ओ मेरे प्रियतम।
तुम हमारे थे प्रभू जी,
तुम हमारे हो,
तुम हमारे ही रहोगे,
ओ मेरे प्रियतम,
हम तुम्हारे थे प्रभु जी,
हम तुम्हारे है,
हम तुम्हारे ही रहोगे,
ओ मेरे प्रियतम।।
दास की यह विनती सुन लीजो,
ओ ब्रजराज दुलारे,
आखरी आस यही जीवन की,
पूरण करना प्यारे,
एक बार हृदय से लगा लो,
ओ मेरे प्रियतम।
तुम हमारे थे प्रभू जी,
तुम हमारे हो,
तुम हमारे ही रहोगे,
ओ मेरे प्रियतम,
हम तुम्हारे थे प्रभु जी,
हम तुम्हारे है,
हम तुम्हारे ही रहोगे,
ओ मेरे प्रियतम।।
तुम हमारे थे प्रभु जी,
तुम हमारे हो,
तुम हमारे ही रहोगे,
ओ मेरे प्रियतम,
हम तुम्हारे थे प्रभु जी,
हम तुम्हारे है,
हम तुम्हारे ही रहोगे,
ओ मेरे प्रियतम।।
– साभार –
। श्री प्रमोद सोनी ।
