- – गीत में प्रेम और भक्ति की गहरी भावना व्यक्त की गई है, जिसमें प्रेमी अपने प्रिय को अपनी कैद में रखने की कसमें खाता है।
- – बंसी वाले (श्रीकृष्ण) के प्रति प्रेम और समर्पण का भाव स्पष्ट है, जो दिल और नजरों का तारा है।
- – प्रेमी के लिए प्रिय के बिना जीवन अधूरा और असहनीय है, और जुदाई का दर्द सहना मुश्किल है।
- – प्रेमी अपने घर में प्रिय को भगवान की तरह मेहमान बनाकर स्वागत करने की इच्छा व्यक्त करता है।
- – गीत में बार-बार “तुमको हमारी सौगंध, तुमको मेरी दुहाई” का दोहराव प्रेम की गहराई और पक्का वचन दर्शाता है।

तुमको हमारी सौगंध,
तुमको मेरी दुहाई,
रखना तुम्हारी कैद में,
देना नही रिहाई,
तुमको हमारी सौगन्ध,
तुमको मेरी दुहाई।।
तर्ज – चूड़ी मजा ना देगी
तुम हो ऐ बंसी वाले,
टुकड़े मेरे जिगर के,
तुम हो खाटु वाले,
तारे मेरी नजर के,
तस्वीर तेरी दिल में,
अरमान से सजाई,
तुमको हमारी सौगन्ध,
तुमको मेरी दुहाई।।
तेरे बगैर मोहन,
कुछ भी नहीं सुहाता,
जब तक ना मैं देखूं,
दिल को चैन ना मिलता,
सह ना सकूँगा मोहन,
पल भर तेरी जुदाई,
तुमको हमारी सौगन्ध,
तुमको मेरी दुहाई।।
इक दिन हमारे घर में,
मेहमान बन के आजा,
मैं हूँ दास तेरा,
भगवन बन के आजा,
हमने दिल की बाते,
सारी तुम्हे बताई,
तुमको हमारी सौगन्ध,
तुमको मेरी दुहाई।।
तुमको हमारी सौगंध,
तुमको मेरी दुहाई,
रखना तुम्हारी कैद में,
देना नही रिहाई,
तुमको हमारी सौगंध,
तुमको मेरी दुहाई।।
