- – यह भजन माँ दुर्गा की महिमा और उनके चण्ड-मुण्ड, शुम्भ-निशुम्भ जैसे राक्षसों का संहार करने की कथा का वर्णन करता है।
- – भजन में माँ दुर्गा को मात भवानी, कल्याणी, मैया रानी, जगजननी और जगदम्बा के रूप में पूजा जाता है।
- – माँ दुर्गा को खडग, त्रिशूल और खप्पर धारी, सिंह पर सवार के रूप में दर्शाया गया है, जो असुरों का विनाश करती हैं।
- – भक्तों द्वारा माँ के द्वार पर मृदंग, ढोल, शंख और शहनाई बजाकर उनकी स्तुति और जयकार की जाती है।
- – माँ दुर्गा को आदिशक्ति और जगत की पालनहार के रूप में सम्मानित किया गया है, जिन्होंने सृष्टि की रचना की और दानवों का संहार किया।

तूने मारे चण्ड मुण्ड,
शुम्भ निशुम्भ,
तेरी जय जय मात भवानी,
तेरी जय जय जय कल्याणी।।
तर्ज – जहाँ डाल डाल पर।
तूने मारे चण्ड मुण्ड,
शुम्भ निशुम्भ,
तेरी जय जय मात भवानी,
तेरी जय जय जय कल्याणी,
तेरी जय जय मैया रानी,
हे जगजननी जगदम्बे ज्वाला,
दुर्गा वैष्णो रानी,
तेरी जय जय जय कल्याणी,
तेरी जय जय मात भवानी।।
जय जय जय माता दी,
जय जय जय माता दी।
जब चण्ड मुण्ड शुम्भ निशुंभ ने,
सारे देवो पे किन्ही चढ़ाई,
तूने असुरो का संहार किया,
रणचंडी माई कहाई,
रणचंडी माई कहाई,
मै आन पड़ा तेरे द्वार पे,
अब है तुझको लाज बचानी,
तेरी जय जय मैया रानी,
तेरी जय जय मात भवानी।।
तू खडग त्रिशूल और खप्पर धारी,
सिंह तेरी असवारी,
तेरी महिमा है अति भारी मैया,
जग की पालन हारी,
जग की पालन हारी,
तूने महिषासुर को मार दिया,
जब मन में पक्की ठानी,
तेरी जय जय मैया रानी,
तेरी जय जय मात भवानी।।
तेरे द्वार पे मृदंग ढोल बजे,
भक्तो ने धूम मचाई,
तेरे भवन में नौवत बाजे मैया,
गूंजे शंख शहनाई,
हे जोतावाली तेरे भवन की,
रुत है बड़ी सुहानी,
तेरी जय जय मैया रानी,
तेरी जय जय मात भवानी।।
हे आदिशक्ति माँ दुर्गे तूने,
सारी श्रष्टि रचाई,
तू जगदम्बे जगजननी,
दानव दैत्य ऋषि उपजाई,
हे लाटावाली लगती हमको,
तेरी गुफा सुहानी,
तेरी जय जय मैया रानी,
तेरी जय जय मात भवानी।।
