- – गीत में काला कागला सांवरियो के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया गया है जो संदेश लेकर आता है।
- – श्लोक में प्रेम और दुख के बीच के संबंध को दर्शाया गया है, जिसमें प्रेम करने से दुख हो सकता है।
- – काले कागले की काली पंखों की तुलना मोर के रंग से की गई है और उसे खीर खिलाने की बात कही गई है।
- – सांवरियो के जागने और भक्तों की भक्ति की बात की गई है, साथ ही संदेश को जल्दी पहुंचाने का आग्रह है।
- – भक्त की अनोखी भक्ति और उसकी झोली भरने की क्षमता का वर्णन किया गया है।
- – पूरे गीत में सांवरियो के आगमन का उत्साह और संदेश लाने वाले काले कागले का महत्व प्रमुख रूप से उभरा है।

उड़ जा काला कागला सांवरियो आवे रे,
श्लोक
जो मै ऐसा जानती, प्रीत करे दुख होय,
नगर ढिंढोरा पीटती, प्रीत ना करिये कोई।
उड़ जा काला कागला सांवरियो आवे रे,
बाबा को ल्यादे रे सन्देश बावरा,
उड़ जा काला कागला सांवरियो आवे रे।।
काली काली पाँखा तेरी मोर सी रंगाऊ रे,
सोनी ने बुला के तेरी चोंच मैं मंड़वाउ रे,
खीर मैं खुवाउ रे,
खीर मैं खुवाउ रे,
खीर मैं खुवाउ जीमण भात भात रा हो ओ,
उड़ जा काला कागला सांवरियो आवे रे।।
सांवरियो में जाजी बाबो, जागे है के सूत्यो रे,
साँची तू बता वोके भक्ता ने भूल्यो रे,
बेगो जा सुणा दे रे,
बेगो जा सुणा दे रे,
बेगो जा सुणा दे रे सन्देश बावरा हो ओ,
उड़ जा काला कागला सांवरियो आवे रे।।
भगत अनोखा तेरा तू भी है अनोखो रे,
झोली भरया जावे जो तू लागे चोखो चोखो रे,
लहरी उडीका रे,
लहरी उडीका रे,
लहरी उडीका रे दिन रात सांवरा हो ओ,
उड़ जा काला कागला सांवरियो आवे रे।।
उड़ जा काला कागला सांवरियो आवे रे,
बाबा को ल्यादे रे सन्देश बावरा,
उड़ जा काला कागला सांवरियो आवे रे।।
