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उद्धार करो आके प्रभु देवकीनंदन लख्खा जी भजन लिरिक्स – Uddhar Karo Aake Prabhu Devkinandan Lakkha Ji Bhajan Lyrics – Hinduism FAQ

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  • – यह भजन भगवान कृष्ण के उद्धारकर्ता रूप की स्तुति करता है, जो भक्तों के दुखों और संकटों को दूर करते हैं।
  • – भजन में कृष्ण के बाल्यकाल की कथाएँ जैसे कालीनाग का वध, पूतना का नाश और गोवर्धन पर्वत उठाने का उल्लेख है।
  • – कृष्ण को भक्तों का रक्षक और संकटमोचन बताया गया है, जो सभी बंधनों और दुःखों को काट देते हैं।
  • – भजन में भक्तों की प्रार्थना है कि प्रभु शीघ्र आकर उनकी रक्षा करें और उन्हें सभी कष्टों से मुक्त करें।
  • – कृष्ण को श्याम, मुरार, कन्हैया जैसे नामों से पुकारा गया है, जो उनके विभिन्न रूपों और लीलाओं को दर्शाते हैं।
  • – यह भजन भक्तों में भगवान कृष्ण के प्रति अटूट श्रद्धा और भक्ति की भावना जगाता है।

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उद्धार करो आके प्रभु देवकीनंदन,
तर्ज – कुछ याद करो अपना पवनसुत।

श्लोक – अब आओ हे मोहन मुरार,
भक्तो का तुम उद्धार करो,
हे रमाकांत शेषावतार,
दुखियो का बेडा पार करो,
हम सब संकट में जकड़े है,
मोहन ना देर लगाओ तुम,
हे कृष्ण कन्हैया ब्रजनंदन,
आकर के अब बचाओ तुम।



उद्धार करो आके प्रभु देवकीनंदन,

अब काटो सभी,
अब काटो सभी नाथ दुःख दर्द के बंधन,
उद्धार करो आके प्रभु देवकीनंदन,
हे उद्धार करो आके प्रभु देवकीनंदन।।



दुनिया थी दंग देख तुम्हारे कमाल को,

तुम तोड़कर के रख दिए दुश्मन के जाल को,
जाकरके कालीनाग को पलभर में पछाड़े,
गिन गिन के दाँत पापी के सब विष के उखाड़े,
गुस्से में भरके नाग जब फुफकारने लगा,
फुफकारने लगा,
फुफकारने लगा,
बालक समझके आपको ललकारने लगा,
ललकारने लगा,
घनघोर लड़ाई लड़े तुम उसके साथ में,
फन को पकड़ कुचल दिए थे बात बात में,
श्री कृष्ण जी,
श्री कृष्ण जी अब आओ लेके चक्र सुदर्शन,
उद्धार करो आके प्रभु देवकीनंदन,
हे उद्धार करो आके प्रभु देवकीनंदन।।

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जब चाल कंसराज की कुछ काम ना आई,

तब मारने को तुमको पूतना है बुलाई,
ग्वालन का भेष धरके खेलाने लगी तुम्हे,
विष दूध के बदले में पिलाने लगी तुम्हे,
फिर लेके तुम्हे पापनी बदकार उड़ चली,
बदकार उड़ चली,
बदकार उड़ चली,
विकराल हसी हस के वो मक्कार उड़ चली,
वो मक्कार उड़ चली,
तुम रक्त सभी पिने लगे उसकी शान से,
चकराके तुरत गिर पड़ी वो आसमान से,
एक पल में ही,
एक पल में ही तुम हर लिए उस नीच का जीवन,
उद्धार करो आके प्रभु देवकीनंदन,
हे उद्धार करो आके प्रभु देवकीनंदन।।



जब ग्वाल बाल पूजा तुम्हारी लगे करने,

तब इंद्र सबपे क्रोध था भारी लगा करने,
घनघोर आंधी पानी और तूफान भी लाया,
रह रह के आसमान से वो बिजली गिराया,
ब्रज डूबने लगा तो हाहाकार मच गई,
हाहाकार मच गई,
हाहाकार मच गई,
सब और श्याम श्याम श्याम की पुकार मच गई,
पुकार मच गई,
तब रख लिए थे श्याम तुम भक्तो की शान को,
और तोड़ डाले ‘शर्मा’ इंद्र के गुमान को,
घनश्याम तभी धारे उंगली पे गोवर्धन,
उद्धार करो आके प्रभु देवकीनंदन,
हे उद्धार करो आके प्रभु देवकीनंदन।।



तुम टेर सुनके भक्तो की मुकर नहीं सकते,

है कौन ऐसा कष्ट जो तुम हर नहीं सकते,
आकरके कष्ट टालो श्री श्याम प्रभु,
श्री श्याम प्रभु,
श्री श्याम प्रभु,
ऐ है मझधार से निकालो घनश्याम प्रभु,
घनश्याम प्रभु,
भक्तो को अब बचालो घनश्याम प्रभु,
श्री श्याम प्रभु श्री श्याम प्रभु।।



उद्धार करो आके प्रभु देवकीनंदन,

अब काटो सभी,
अब काटो सभी नाथ दुःख दर्द के बंधन,
उद्धार करो आके प्रभु देवकीनंदन,
हे उद्धार करो आके प्रभु देवकीनंदन।।

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