भजन

उमर गुजर गुजर जाए मगर तू न सुधर पाए – Umar Gujar Gujar Jaye Magar Tu Na Sudhar Paaye – Hinduism FAQ

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  • – यह भजन मन को सुधरने और गुरु की शरण में जाने की प्रेरणा देता है।
  • – जीवन गुजर जाता है, लेकिन मन को भजन और ध्यान से दूर नहीं होना चाहिए।
  • – गुरु की महिमा और उनके चरणों में समर्पण से मुक्ति प्राप्ति संभव है।
  • – मन को आवागमन और व्यर्थ की उलझनों से बचाकर गुरु की शरण में आना चाहिए।
  • – भजन में गुरु के प्रति श्रद्धा और भक्ति का संदेश प्रमुख रूप से दिया गया है।

उमर गुजर गुजर जाए,
मगर तू न सुधर पाए,
है मेरी इतनी सी,
इल्तिजा रे ओ मन,
तरा जाए बिना भजन भव,
तरा नही जाए,
है मेरी इतनी सी,
इल्तिजा रे ओ मन,
उमर गुजर गुजर जाए,
मगर तू न सुधर पाए।।

तर्ज – नजर जिधर जिधर जाए।



गुरु दर क्यो प्यारा है,

आओ जरा आओ,
यहाँ देखो न,
जग से क्यो न्यारा है,
घूमो जग सारा,
फिर देखो न,
आजा आजा रे मन,
तू गुरू की शरण,
उमर गूजर गुजर जाए,
मगर तू न सुधर पाए।।



देते है वो साधन,

तरने का तुझको,
वो जग तारन,
कर प्राणी तू सुमिरन,
गुरू चरणो मे,
लगा कर मन,
मुक्ती को पाने का,
अब तू करले जतन,
उमर गूजर गुजर जाए,
मगर तू न सुधर पाए।।



गुरू से जो करता है,

वादा न पूरा तू करता है,
आवागमन के चक्कर मे,
खुद प्राणिये,
तू ही फँसता है,
आजा गुरू की शरण,
कर प्रभू का भजन,
उमर गूजर गुजर जाए,
मगर तू न सुधर पाए।।



उमर गुजर गुजर जाए,

मगर तू न सुधर पाए,
है मेरी इतनी सी,
इल्तिजा रे ओ मन,
तरा जाए बिना भजन भव,
तरा नही जाए,
है मेरी इतनी सी,
इल्तिजा रे ओ मन,
उमर गुजर गुजर जाए,
मगर तू न सुधर पाए।।

यह भी जानें:  उड़ जा काला कागला सांवरियो आवे रे भजन लिरिक्स - Ud Ja Kaala Kaagla Sanwario Aave Re Bhajan Liriks - Hinduism FAQ

– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923

वीडियो उपलब्ध नहीं।


 

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