भजन

उमर जाती है रे प्राणी जतन करले ओ अभिमानी – Umar Jaati Hai Re Praani Jatan Karle O Abhimaani – Hinduism FAQ

धर्म दर्शन वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें Join Now
  • – जीवन की सीमितता को समझते हुए समय का सदुपयोग करना चाहिए।
  • – कठिनाइयों और बाधाओं के बावजूद सही उपाय अपनाकर सफलता प्राप्त की जा सकती है।
  • – उम्र बढ़ने के साथ शारीरिक कमजोरी आती है, लेकिन मनोबल और प्रयास बनाए रखना जरूरी है।
  • – हर परिस्थिति में ईश्वर का स्मरण और ध्यान करना जीवन को सार्थक बनाता है।
  • – अंततः जीवन का उद्देश्य आत्मा की शांति और मोक्ष की प्राप्ति है।
  • – सकारात्मक सोच और सही तजबीज से जीवन की नैया पार लगाई जा सकती है।

उमर जाती है रे प्राणी,
जतन करले ओ अभिमानी,
तजबीज कर कोई ऐसी,
कि नैया पार हो जाऐ।।

तर्ज – नजर आती नही मँजिल।



अब दूरी नही कोई बन्दे,

नैया और भँवर मे,
अब न भजा तो कल क्या भजेगा,
लटके पाँव कवर मे,
तजबीज कर कोई ऐसी,
कि नैया पार हो जाऐ।।



टेढ़ी कमर और हाथ मे लाठी,

साथ न देती जुबाँ है,
नखरे फिर भी करता कितने,
आज भी जैसे युवा हो,
तजबीज कर कोई ऐसी,
कि नैया पार हो जाऐ।।



जब तक साँस है तेरे तन मे,

करना तू हरि सुमिरन,
एक दिन माटी मे मिल जाए,
तेरी काया कँचन,
तजबीज कर कोई ऐसी,
कि नैया पार हो जाऐ।।



उमर जाती है रे प्राणी,

जतन करले ओ अभिमानी,
तजबीज कर कोई ऐसी,
कि नैया पार हो जाऐ।।

– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923

वीडियो अभी उपलब्ध नहीं।


 

यह भी जानें:  मेरे साईं की अद्भुत है माया देखो पानी से दीप जलाया लिरिक्स - Mere Sai Ki Adbhut Hai Maya Dekho Pani Se Deep Jalaya Lyrics - Hinduism FAQ
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

You may also like