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ऊँचा ऊँचा शत्रुंजयना शिखरो सोहाय जैन स्तवन – Ooncha Ooncha Shatrunjayna Shikharo Sohay Jain Stavan – Hinduism FAQ

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  • – यह गीत शत्रुंजय पर्वत की महिमा और उसकी ऊंचाई का वर्णन करता है, जहाँ दादा (संभवत: संत या गुरु) का निवास है।
  • – यात्रा के दौरान पवित्रता और भक्ति का अनुभव होता है, जिससे पाप दूर होते हैं और मन शुद्ध होता है।
  • – प्रकृति की सुंदरता जैसे झाड़ियाँ, पक्षी, और मोर की उपस्थिति यात्रा को आनंदमय बनाती है।
  • – रामपोळ, वाघणपोळ, हाथीपोळ जैसे स्थानों पर शांतिनाथ जी के दर्शन होते हैं, जो आध्यात्मिक शांति प्रदान करते हैं।
  • – दादा के दर्शन से जीवन पवित्र होता है और माता मरू देवी का आशीर्वाद मिलता है।
  • – ॐकार जाप और दादा के गुणों का गान करने से आनंद और पापों का नाश होता है, जिससे आध्यात्मिक उन्नति होती है।

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ऊँचा ऊँचा शत्रुंजयना,
शिखरो सोहाय,
वच्चे मारा दादा केरा,
डेरा जगमग थाय।।



दादा तारी यात्रा करवा,

मारुं मन ललचाय -२,
तळेटीए शीश नमावी,
चढवा लागुं पाय -२,
पावनगिरिनो स्पर्श थातां,
पापो दूर पलाय,
ऊंचा ऊंचा शत्रुंजयना,
शिखरो सोहाय।।



लीली लीली झाडीयो मा,

पंखी करे कलशोर -२,
सोपान चढता चढता जाणे,
हयु अषाढियानो मोर -२,
कांकरे कांकरे सिद्धा अनंता,
लळी लळी लागुं पाय,
ऊंचा ऊंचा शत्रुंजयना,
शिखरो सोहाय।।



पहेली आवे रामपोळने,

त्रीजी वाघणपोळ -२,
शांतिनाथनां दर्शन करीए,
पहोंच्या हाथीपोळ -२,
सामे मारा दादा केरा,
दरबार देखाय,
ऊंचा ऊंचा शत्रुंजयना,
शिखरो सोहाय।।



दौड़ी दौड़ी आवुं दादा,

दर्शन करवाने काज -२,
भाव भरीने भक्ति करुं,
साधु आतम काज -२,
माता मरू देवी नां नंदन भेटी,
जीवन पावन थाय,
ऊंचा ऊंचा शत्रुंजयना,
शिखरो सोहाय।।



क्षमाभावे ॐकार पदनुं,

नित्य करिश हुं तो जाप -२,
दादा तारा गुणला गातां,
कापीश भवनां पाप -२,
पद्मविजय’नां हये आज,
आनंद उभराय,
ऊंचा ऊंचा शत्रुंजयना,
शिखरो सोहाय।।

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ऊँचा ऊँचा शत्रुंजयना,

शिखरो सोहाय,
वच्चे मारा दादा केरा,
डेरा जगमग थाय।।


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