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- – यह गीत रामायण के प्रसंग पर आधारित है, जिसमें लक्ष्मण की जीवित रहने की कहानी बताई गई है।
- – गीत में राम से लक्ष्मण को संजीवनी बूटी लाने का आग्रह किया गया है ताकि उनकी जान बचाई जा सके।
- – गीत में भावुकता और भक्ति की भावना प्रबल है, जो लक्ष्मण की रक्षा और उनके जीवित रहने की कामना व्यक्त करती है।
- – भक्त मंडल द्वारा गाया गया यह गीत लक्ष्मण की महिमा और उनके प्रति श्रद्धा को दर्शाता है।
- – गीत का मुख्य संदेश है कि “लखनवा नहीं जाना” अर्थात लक्ष्मण को मरने नहीं देना चाहिए।

उठ खड़ा हो लक्ष्मण भैया जी ना लगे,
लखनवा नही जाना की जी ना लगे।।
तर्ज – साथिया नही जाना की जी ना लगे
सुनले लक्ष्मण भैया,
रोएगी मेरी मैया,
चला आ आ रे…
मुखड़ा दिखलाऊंगा केसे,
मुखड़ा दिखलाऊंगा केसे,
जी ना लगे,
लखनवा नही जाना की जी ना लगे।।
सुन मेरे बजरंगी,
अब तू ही मेरा संगी,
चला आ आ रे…
ला कर दे संजीवन बूटी,
ला कर दे संजीवन बूटी,
जी ना लगे
लखनवा नही जाना की जी ना लगे।।
संजीवन बूटी लाई,
लक्ष्मण को घोल पिलाई,
चला आ आ रे…
गले मिल गये दोनो भैया,
गले मिल गये दोनो भैया,
जी ना लगे,
लखनवा नही जाना की जी ना लगे।।
भक्त मंडल ने गाइ,
तेरी महिमा बर्नी ना जाये,
चला आ आ रे…
भव सागर मे नैया डोले,
भव सागर मे नैया डोले,
जी ना लगे
लखनवा नही जाना की जी ना लगे।।
उठ खड़ा हो लक्ष्मण भैया जी ना लगे,
लखनवा नही जाना की जी ना लगे।।
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
